रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट के 23 में से सिर्फ 12 जजों ने सार्वजनिक की है अपनी संपत्ति
भारत के सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त 23 जज हैं। जबकि उनकी कुल क्षमता 31 जजों की है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अभी तक सिर्फ 12 जजों ने ही अपनी संपत्ति घोषित की है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, शेष 11 जज जिन्हें अपनी संपत्ति और निवेशों की घोषणा करनी है, उनमें जस्टिस आर. एफ. नरीमन, ए.एम. सप्रे, यू.यू. ललित, डी.वाई. चंद्रचूड़, एल. नागेश्वर राव, संजय किशन कौल, मोहन एम. शांतानागौदर, एस. अब्दुल नज़ीर, नवीन सिन्हा, दीपक गुप्ता और इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। जस्टिस नरीमन, ललित, राव और मल्होत्रा को सीधे बार से चुना गया था। जस्टिस मल्होत्रा ने अप्रैल में कार्यभार संभाला था। जबकि पांच अन्य न्यायाधीशों जिनमें जस्टिस कौल, शांतानागौदर, नज़ीर, सिन्हा और गुप्ता शामिल हैं, उन्हें डेढ़ साल पहले चुना गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ और राव को दो साल पहले चुना गया था। जस्टिस नरीमन, सप्रे और ललित सुप्रीम कोर्ट में चार साल पहले आए थे।
जिन न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति और निवेशों की घोषणा की है उनमें, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कॉलिजियम के चार अन्य जजों के अलावा सात अन्य जज भी शामिल हैं। वेबसाइट के मुताबिक बीते 6 जून 2018 को जस्टिस रंजन गोगोई, जो कि मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ जज हैं, उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर अपडेट किया था। इस ब्यौरे में गुवाहाटी की वह संपत्ति भी शामिल है जिसे हाल ही में उन्होंने 65 लाख रुपये में बेचा था। इस संपत्ति की बिक्री से मिले धन पर उन्होंने टैक्स भी चुकाया था। इसमें उस संपत्ति का ब्यौरा भी शामिल है, जिसे जस्टिस गोगोई की मां ने पैतृक संपत्ति के रूप में उन्हें और उनकी पत्नी को सौंपा है।
वेबसाइट के मुताबिक, संपत्ति घोषित करने वाले सभी जजों के पास कुछ जमीन जरूर है। इसमें ये भी पता चलता है कि शीर्ष दो जजों के पास कार नहीं है। जस्टिस मदन बी लोकुर के पास मारुति स्विफ्ट कार है, जबकि जस्टिस कुरियन जोसेफ के पास सेकेंड हैंड मारुति एस्टीम कार है। जबकि जस्टिस एके सीकरी के पास होंडा सिविक है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में 44 पूर्व न्यायाधीशों की संपत्तियों का ब्यौरा भी दिया हुआ है। इस वेबसाइट में कुछ 56 जजों ने अपनी संपत्ति के ब्यौरे अपडेट किए हैं।
मई 1997 में, सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने ये फैसला दिया था कि सभी जज अपनी संपत्ति और निवेशों का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास दाखिल करेंगे। इस ब्यौरे में उनकी पत्नी और बच्चों की संपत्ति का ब्यौरा भी शामिल होगा। ये भी कहा गया था कि ये घोषणाएं पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएंगी। साल 2007 में, एक याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। उसने सूचना के अधिकार के तहत जजों की संपत्ति के खुलासे की जानकारी मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने इस याचिका का विरोध किया लेकिन तीन जजों की बेंच ने ये फैसला दिया कि जज अपनी संपत्ति की घोषणा करेंगे। रजिस्ट्री ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की। 26 अगस्त 2009 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली बैठक में उन्होंने कहा था कि वह अपनी संपत्ति को स्वैच्छिक रूप से सार्वजनिक करेंगे।