रेपो दर 0.25 फीसद बढ़ी, बैंकों से कर्ज लेना होगा महंगा

रिजर्व बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता में दो महीने के भीतर दूसरी बार मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 फीसद की वृद्धि की है। इस वृद्धि से आने वाले समय में बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो सकता है। रिजर्व बैंक ने जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.4 फीसद पर पूर्ववत रखा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उसने जीडीपी वृद्धि 7.5 से 7.6 फीसद के दायरे में रहने का अनुमान व्यक्त किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में हुई छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने समीक्षा बैठक के तीसरे दिन बुधवार को यह फैसला किया। इसके साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को भी तटस्थ बनाए रखा है। रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.50 फीसद कर दिया। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को एक दिन के लिए धन उधार देता है।

एमपीसी ने मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई- सितंबर तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.2 फीसद पर रखा है जबकि वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान इसके 4.8 फीसद तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया है। मुद्रास्फीति के बारे में आरबीआइ का ताजा अनुमान इसके चार फीसद के संतोषजनक माने जाने वाले स्तर से ऊपर है। इन हालात के बावजूद रिजर्व बैंक ने कंपनियों के बेहतर वित्तीय परिणाम और गांवों में अच्छी मांग से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान बरकरार रखा है। हालांकि घरेलू निर्यातकों के लिए वैश्विक व्यापार तनाव को लेकर चिंता जताई गई है। मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआइ ने कहा कि विभिन्न संकेतक बताते हैं कि आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी रहेंगी।

तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि अब तक मानसून की प्रगति और खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में सामान्य बढ़ोतरी के मुकाबले तीव्र वृद्धि से किसानों की आय बढ़ेगी और अंतत: गांवों में मांग बढ़ेगी। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘कंपनियों खासकर रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली इकाइयों के बेहतर वित्तीय परिणाम भी ग्रामीण मांग में वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है।’ शीर्ष बैंक ने कहा कि निवेश गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं। हालांकि हाल की अवधि में वित्तीय स्थिति थोड़ी तंग हुई है।

बाजारों की कार्यावधि की समीक्षा के लिए आरबीआइ का आंतरिक समूह

घरेलू बाजारों को विदेशी बाजारों के घटनाक्रम के अनुसार शीघ्रता से और बेहतर मूल्य तय करने का अवसर देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी विनियम वायदा और विदेशी विनिमय ओवर-दी-काउंटर बाजार समेत विभिन्न बाजार खंडों के कारोबार के समय की समीक्षा को लेकर एक आंतरिक समूह गठित करेगा। रिजर्व बैंक ने तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा कि समूह अक्तूबर के अंत तक अपनी रपट देगा। बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के मुताबिक प्रस्तावित समूह अक्तूबर, 2018 के अंत तक अपनी रपट दे देगा।

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