रेलवे पुलिस ने ट्रेन के शौचालय में एक बोरे से बरामद की 72 अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें
बुधवार तड़के सुबह भागलपुर रेलवे पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। रेलवे पुलिस ने 13071 हावड़ा-जमालपुर एक्सप्रेस ट्रेन की सामान्य बोगी के शौचालय में बोरे में 72 अर्द्धनिर्मित पिस्तौल बरामद की है। रेलवे एसपी शंकर झा के मुताबिक, ये पिस्तौलें मुंगेर ले जाई जा रही थीं। इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस तहकीकात कर गिरोह का पता लगाने में लगी हुई है। यह ट्रेन भागलपुर स्टेशन सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर पहुंची। गुप्त सूचना के आधार पर ट्रेन आने के पहले ही सभी को सतर्क कर दिया गया था।
ट्रेन प्लेटफार्म पर रुकते ही बोगियों में तलाशी अभियान चलाया गया। इसी दौरान सामान्य बोगी के शौचालय को खोला गया जिसमें एक बोरा रखा हुआ था। इसे देखकर रेलवे पुलिस को शक हुआ और बोरे को खोंलने पर सारा खेल समझ में आ गया। पुलिस ने बोरे को अपने कब्जे में ले लिया और थाना ले जाकर इसके बारे में एसआरपी को सूचना दी। जीआरपी सूत्रों ने बताया कि, बोगी में पूछताछ के दौरान किसी ने भी बरामद बोरे का दावा नहीं किया। गौरतलब है कि मुंगेर में बने हथियारों का धंधा तेजी से फलफूल रहा है। हाबड़ा-जमालपुर एक्सप्रेस ट्रेन से ही जुलाई महीने में भी 32 अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें मुंगेर पुलिस ने बरामद की थीं। इसके साथ ही दो तस्करों को भी दबोचा था।
मुंगेर एसपी आशीष भारती इन तस्करों के तार बंगाल, दिल्ली, उत्तरप्रदेश तक जुड़ा बताते हैं। इसके पुख्ता सबूत ट्रेनों से निर्मित और अर्धनिर्मित हथियारों का जब्त होना है। भागलपुर रेलवे थाना के एसएचओ सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि जुलाई में ही साहेबगंज-जमालपुर सवारी गाड़ी से रेलवे पुलिस ने 50 अर्द्धनिर्मित पिस्तौल बरामद किया था। यह जानना जरूरी है कि देसी हथियारों को विदेशी चमक देने में मुंगेर के कारीगर माहिर है। मुंगेर का वरदे गाँव तो इस काम को अंजाम देने के लिए अरसे से जाना जाता है। यहां घर-घर कारीगर हैं। हाल के कुछ महीनों में चार सौ से ज्यादा अर्द्धनिर्मित देसी पिस्तौलें पुलिस ने छापामार बरामद की हैं।
जानकार बताते हैं कि गृह महकमा ने हथियारों की तस्करी रोकने के लिए एसटीएफ को भी लगाया हुआ है। हथियार जब्त भी होते हैं, फिर भी तस्करी का धंधा जोरों पर है। इसके अलावा नक्सली भी यहां का हथियार खपाने में आगे हैं। दरअसल बंगाल के वर्धमान, मुर्शिदावाद और आसनसोल से अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें विदेशी चमक देने के लिए मुंगेर लाई जाती हैं। इसकी फिनिशिंग देखने के बाद खरीददार हाथोंहाथ खरीद लेता है। जानकार बताते हैं कि इन हथियारों की मांग असम, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बंगाल में ज्यादा है। मुंगेर में अवैध बंदूक कारखानों की छापेमारी की वजह से कारीगर अपना ठिकाना बदल दूसरे राज्यों में भी बना लिया है। पिस्तौलें वहां से बनाकर फिनिशिंग कराने मुंगेर लाई जाती हैं।