रोहिंग्या मुद्दे पर खुलकर बोलीं तस्लीमा, भारत सरकार से पूछे ये सवाल तो ओवैसी को बताया आतंकी

बीते दो दशकों से बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन इस्लामिक कट्टरपंथियों के फतवों और जान से मारने की धमकियों की वजह से मुल्क से बाहर रह रही हैं। शुरुआती दिनों में तस्लीमा यूरोप और अमेरिका में रहीं। जबकि साल 2004 से भारत में रह रही हैं। टीवी चैनल न्यूज 18 को दिए साक्षात्कार में उन्होंने रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर अपनी बात कही है। उन्होंने कहा है कि म्यांमार में जातीय हिंसा की वजह से विस्थापित रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत को अपने रुख पर फिर से विचार करना चाहिए। पढ़ें साक्षात्कार के कुछ अंश-

सवाल- भारत सरकार का कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थी मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए। क्या आपको लगता है कि म्यांमार में जातीय हिंसा की वजह से विस्थापित हुए रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण दी जानी चाहिए?

जवाब- अगर भारत सरकार को लगता है कि रोहिंग्या शरणार्थी मुल्क की सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो ये उनका फैसला है। मैं अभी भी भारत सरकार से अनुरोधी करुंगी कि वो अपने फैसले पर फिर से विचार करे। जबकि इसका मतलब ये हुआ कि रोहिंग्या बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। मगर ढाका ने उन्हें शरण दी। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं कि क्योंकि मैंने हमेशा जुल्म का शिकार हुए लोगों का बचाव किया है। जब महिलाओं पर जुल्म किए गए मैंने उनका बचाव किया। मैं उनके अधिकारों और आजादी के लिए खड़ी हुई हूं। जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म हुए मैं उनके साथ खड़ी हुई। जब फिलिस्तीन में मुस्लिमों पर अत्याचार हुआ मैंने उनके लिए भी आवाज उठाई। बोसनिया और गुजरात में भी मैंने उनके लिए आवाज उठाई। वहीं जब पाकिस्तान में इसाईयों पर जुल्म हुआ मैंने उनके पक्ष में आवाज उठाई।

तस्लीमा ने आगे कहा कि मैं धर्म की आलोचना करती हूं। इस्लाम, हिंदू, जैनी, बुद्ध या अन्य कोई धर्म। क्योंकि मेरा मानना है कि सभी धर्म महिलाओं के अधिकार, मानव अधिकार और बोलनी की आजादी के खिलाफ हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि मैं मानवता के खिलाफ हूं, क्योंकि मैं इस्लाम के खिलाफ हूं। जबकि जब धर्मनिरपेक्ष और नास्तिक लोगों पर जुल्म ढहाया गया मैं उनके लिए भी खड़ी हुई हूं।

सवाल- भारत ने श्रीलंका, तिब्बत, बांग्लादेश आदि देशों के पीड़ित लोगों को शरण देने में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन किया। आपको क्यों लगता है कि रोहिंग्या मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया जा रहा है?

 जवाब- सारे मुस्लिम आतंकी नहीं होते, सारे रोहिंग्या भी आंतकी नहीं है। हालांकि कुछ हो सकते हैं, मगर जब ये लोग भारत में ये रहेंगे तो मुल्क की सरकार बांग्लादेश और पाकिस्तान के मुकाबले रोहिंग्या की आतंकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख सकती है। ऐसा इसिलए है क्योंकि पड़ोसी देशों की तुलना में भारत का लोकतंत्र मजबूत है। भारत इस क्षेत्र की शक्ति है। अगर भारत सरकार आतंकियों की पहचान कर लेती है तो उन्हें सजा भी दिलवा सकती है। वर्तमान में बांग्लादेश में चार लाख से ज्यादा शरणार्थी हैं। मुझे लगता है कि वहां रोहिंग्या में आतंकी गतिविधियों की पहचान करना काफी मुश्किल होगा।

सवाल- ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछ चुके हैं कि अगर तस्लीमा नसरीन भारत में रह सकती हैं तो रोहिंग्या भारत में क्यों नहीं रह सकते? अगर तस्लीमा आपकी (पीएम मोदी) बहन हो सकती हैं तो रोहिंग्या आपके भाई क्यों नहीं हो सकते? इस सवाल का जवाब आप कैसे देंगी?

जवाब- मुझे नहीं पता कि ओवैसी को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। वो आतंकी लोग हैं। उनके लोगों ने साल 2007 में मेरे खिलाफ फतवा जारी किया। उनके लोगों ने मेरी हत्या करने वालों को इनाम देने की घोषणा की। मैंने भारतीय मीडिया से हमेशा कहा कि वो ऐसे लोगों को महत्व देने की जगह शिक्षित लोगो को महत्व दें। मुस्लिम समुदाय में कौन मानवाधिकार, महिला अधिकार, बोलने की आजादी का समर्थन करता हैं। लेकिन मीडिया सिर्फ कट्टरपंथियों को महत्व देता है।

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