लगातार हार से बीजेपी नेताओं में हड़कंप- कहीं टीम मोदी छोड़ने न लगें साथी

उपचुनावों में लगातार हार, कर्नाटक में बहुमत हासिल में करने में नाकामयाबी ये हाल के कुछ ऐसे सियासी घटनाक्रम है। जिसने बीजेपी का टेंशन बढ़ा दिया है। बीजेपी के सहयोगियों की बयानबाजी बढ़ गई है। शिवसेना के साथ बीजेपी के रिश्ते सबसे निम्नतम स्तर पर हैं। तो नीतीश कुमार ये कहकर कि ‘सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी’, इशारों-इशारों में सरकार पर ताने मार रहे हैं। वहीं टीडीपी केन्द्र से तलाक के बाद यहां तक कह रही है कि 2019 में मोदी सत्ता में नहीं आएंगे। यहीं नहीं बीजेपी के विधायक-सांसद भी खुले आम ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है। हरदोई के गोपामऊ से बीजेपी विधायक श्यामप्रकाश ने कैराना-नूरपुर में हार के बाद तुरंत सोशल मीडिया के जरिये सीएम पर तंज कसा। उन्होंने तुकबंदी कर फेसबुक पर लिखा, “मोदी नाम से पा गए राज, कर ना सके जनता का काज, संघ, संगठन हाथ लगाम, मुख्यमंत्री भी असहाय।” तो क्या माना जाए कि उन्होंने सीधे-सीधे पार्टी आलाकमान पर हमला किया है। वहीं कई मुद्दों पर मुखर रहने वाले बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि इस हार के पीछे अधिकारियों और कर्मचारियों में फैला भ्रष्टाचार जिम्मेदार है, जिसकी वजह से मासूम जनता परेशान होती है।

दरअसल राजस्थान के अलवर, अजमेर लोकसभा सीट पर बीजेपी की हार, उत्तर प्रदेश में कैराना, गोरखपुर, फूलपुर में पार्टी की पराजय से भगवा खेमे में बेचैनी है। पार्टी का एक तबका अंदरखाने ये मानता है कि अगर ‘मोदी लहर’ इसी तरह कमजोर पड़ता रहा, तो 2019 की गर्मियों के महासमर में बीजेपी के कई सहयोगी पार्टी को सियासी छांव देने की बजाय कांग्रेस की नाव में सवारी करना पसंद करेंगे। बता दें कि मोदी फैक्टर ही वो आकर्षण बिन्दू है जिसकी वजह से शिवसेना, जेडीयू, एलजेपी, आरएलएसपी, अकाली दल जैसी पार्टियां बीजेपी के साथ जुड़ी हैं। लिहाजा अगर पीएम की चुनाव जिताने की क्षमता कम होती है तो इस संगठन में बिखराव से इनकार नहीं किया सकता है। नीतीश पिछले कुछ दिनों से लगातार संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी के साथ उनकी दोस्ती सहज नहीं हो पा रही है। जोकीहाट सीट पर जेडीयू की हार और आरजेडी की जीत, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का उनपर लगातार हमला, ये कुछ ऐसी वजहें हैं जिससे नीतीश की असहजता और बढ़ेगी। 31 मई को जोकीहाट सीट पर जेडीयू की हार के बाद पार्टी के नेता केसी त्यागी ने बीजेपी नेतृत्व से खुलकर असहमति जताई। उन्होंने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का हवाला देकर कहा कि लोग पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों से गुस्से में हैं।

कैराना में बीजेपी की हार पर शिवसेना ने तीखा व्यंग्य किया है। गुरुवार (31 मई) को महाराष्ट्र के पालघर में पार्टी की हार के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों को संबोधित किया। हालांकि उन्होंने बीजेपी से अलग होने का ऐलान नहीं किया। पर उन्होंने कहा, “बीजेपी जब 2014 में सत्ता में आई थी तो हमने सोचा था कि ये सरकार कम से कम 25 साल तक रहेगी, लेकिन 4 साल बाद ही ये लोग उपचुनाव हारने लगे हैं।” ताजा उपचुनाव के नतीजे विपक्षी एकता के प्रति उत्साह और राजनीति में नये बदलाव के संकेत देते हैं। बीजेपी नेतृत्व के सामने अब विपक्ष की गोलबंदी से निपटने की चुनौती है।

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