लताड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार- 105 नेता चुनाव जीतते ही बने धन कुबेर, कल देंगे नाम

सुप्रीम कोर्ट के दबाव में सरकार ने उन सांसदों, विधायकों की संपत्ति जांच कराने का फैसला किया है जो चुनाव जीतते ही धन कुबेर बन गए। इलाहाबाद के एनजीओ लोक प्रहरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने सोमवार (11 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सात लोकसभा सांसद और 98 विधायकों की संपत्ति की जांच की जा रही है। सीबीटीडी ने यह भी कहा कि इन सभी सांसदों और विधायकों के नाम की सूची मंगलवार (12 सितंबर) को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपेगा।

सीबीडीटी ने कोर्ट को बताया कि आयकर विभाग ने इन नेताओं की संपत्तियों की शुरुआती जांच की है जिसमें पता चला है कि चुनाव जीतने के बाद इन सांसदों-विधायकों की चल-अचल संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। ये शुरुआती जांच लोक प्रहरी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद हुई है। लोक प्रहरी ने आरोप लगाया था कि लोकसभा के 26 सांसद, राज्यसभा के 11 सांसद और 257 विधायकों की संपत्ति उनके निर्वाचित होते ही तुरंत बढ़ गई। एनजीओ ने ये आरोप उन नेताओं के चुनावी हलफनामे के आधार पर लगाया था।

सीबीडीटी ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि अन्य नौ लोकसभा सांसद, 11 राज्यसभा सांसद और 42 विधायकों की संपत्तियों का आंकलन किया जा रहा है। इससे पहले जस्टिस जे चेलमेश्वर की पीठ ने सरकार से पूछा था कि क्या सरकारी विभागों ने नेताओं द्वारा सौंपे गए चुनावी हलफनामे और आयकर रिटर्न्स के दस्तावेज के मुताबिक उनकी संपत्तियों की कोई जांच कराई है?

केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सरकार एक तरफ चुनाव सुधार की बात करती है मगर दूसरी तरफ कोई भी काम समय पर पूरा नहीं करती है। पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पी एस नरसिम्हा से कहा, क्या भारत सरकार का यही रवैया है? आजतक आपने इस मामले में क्या किया है? याचिका में एनजीओ ने ना केवल सांसद-विधायकों की संपत्ति और उनकी आय के स्रोत को सार्वजनिक किया जाय बल्कि उनकी पत्नी और बच्चों की संपत्ति और आय के स्रोतों को भी जगजाहिर किया जाय।

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