लालू के बाद उनके एक पूर्व विधायक पर भी कसा शिकंजा, पुराने मामलों की समीक्षा में जुटी पुलिस

गोड्डा के पूर्व राजद विधायक संजय यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है। उनके खिलाफ आय से अधिक जायदाद अर्जित करने का भी आरोप है। इसके अलावे बिहार के बांका ज़िले और झारखंड के गोड्डा ज़िले के विभिन्न थानों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा मामले संगीन दफाओं में उनके खिलाफ दर्ज है। भागलपुर रेंज के डीआईजी विकास वैभव ने इस संवाददाता को बताया कि जल्द ही इन मामलों की समीक्षा की जाएगी। जाहिर है राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद की बढ़ती मुश्किलें के साथ उनके पूर्व विधायक पर भी पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। यह दीगर है कि लालू प्रसाद का मामला चारा घोटाले से है। तो संजय यादव का गुंडागर्दी से।

गौरतलब है कि संजय यादव को अदालत से राहत न मिलने की वजह से मारपीट और रंगदारी के एक मामले में सोमवार को बांका कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में जमानत की अर्जी भी दाखिल की जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। और कोर्ट के आदेश पर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। बताते है कि उनके वकील ने जमानत रद्द होने के तुरंत बाद जिला जज के इजलास में अर्जी दी थी। जिसकी सुनवाई मंगलवार को करते हुए अदालत ने पुलिस से डायरी मांगी है। अब सुनवाई गुरुवार को होगी।

ध्यान रहे कि डिवीजन के बांका जिला अंतर्गत ढाकामोड़ के वाशिंदें गोड्डा (झारखंड) के पूर्व राजद विधायक संजय यादव के विरुद्ध मारपीट, रंगदारी, जान मारने की धमकी तथा आर्म एक्ट के तहत विगत 12 मई 2017 को बांका जिले के बाराहाट थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। यह प्राथमिकी इसी थाना क्षेत्र के नेमुआ मसुदनपुर स्थित निर्माणाधीन गैस रिफिलिंग प्लांट के साइट इंचार्ज बेगूसराय निवासी भूषण सिंह तथा उनके कर्मियों के साथ 10 मई को हुई मारपीट के सिलसिले में दर्ज कराई गई थी। जिसमें पूर्व विधायक संजय यादव के साथ जामुन यादव नामजद तथा 30- 35 अज्ञात को आरोपी बनाया गया था।

मगर बांका पुलिस कार्रवाई करने में ढिलाई बरती। तो भागलपुर रेंज के डीआईजी विकास वैभव से मिल प्लांट के प्रबंधक को दरखास्त दे गुहार लगाई। डीआईजी ने बांका एसपी को फौरन कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद दबंग पूर्व विधायक की गिरफ्तारी के लिए जोरदार दबिश दी गई। लेकिन वे इलाका छोड़ भूमिगत हो जाने की वजह से उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका। उस दौर में उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार बड़े पैमाने पर उनके कई ठिकानों पर छापामारी भी की गई थी। पुलिस ने उनके ढाकामोड़ स्थित घर पर इस्तेहार भी लगाया था। इस बीच राजनैतिक दबाब पुलिस पर डालने की बात सामने आई थी।

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