लिताेें से भैंसे की बलि दिलाई, जबरन मांस खिलाया, अब एससी-एसटी आयोग ने दर्ज की शिकायत
महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन का दौर अभी थमा नहीं है कि दक्षिणी रज्य कर्नाटक से दलितों से जुड़ा एक और मामला सामने आ गया है। शिवमोगा में दलितों से न केवल भैंसे की बलि दिलाई गई, बल्कि उन्हें उसका मांस खाने पर भी मजबूर किया गया। अनूसुचित जाति/जनजाति आयोग (एससी-एसटी) ने इस मामले में शिकायत दर्ज की है। दलित महिलाओं को कथित तौर पर अर्धनग्न अवस्था में पूजा करने करने के लिए भी मजबूर किया गया था। घटना सामने आने के बाद क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना शिवमोगा जिले के कुमारनहल्ली इलाके की है। वहां सालाना मारिखंबा देवी मेला लगा हुआ है। आरोप है कि कुछ दिनों पहले मेले में अगड़ी जाति के लोगों ने दलितों को बलि देने और उसका मांस खाने के लिए मजबूर किया था। इसकी शिकायत मिलने पर एससी-एसटी आयोग ने पुलिस अधीक्षक अभिनव खरे और उपायुक्त एम. लोकेश को सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया था। कर्नाटक एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष ए. मुणियप्पा ने ग्रामीणों से मिलकर इस तरह की प्रथा को त्यागने की अपील भी की थी। पुलिस ने मारिखंबा मंदिर के समीप से भैंसों को जब्त किया है। पुलिस के इस कदम के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था। वे मवेशियों को सौंपने की मांग कर रहे थे। तनाव को बढ़ता देख रिजर्व पुलिस को तैनात कर दिया गया। पुलिस ने मारिखंबा मंदिर घटना में मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला बेलागवी जिले में 250 से ज्यादा बकरों और भेड़ों की बलि देने की घटना के एक सप्ताह बाद सामने आई है। बेलागवी में येलम्मा मेले में बलि दी गई थी।
राज्य पुलिस की कोशिशों के बावजूद राज्य के विभिन्न हिस्सों से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। स्थानीय पुलिस गैरसरकारी संगठनों के साथ मिलकर ऐसी घटनाओं पर नजर रखती है। इसके बावजूद बलि देने की घटनाएं हो रही हैं। शिवमोगा में दलितों को बलि देने और मांस खाने के लिए मजबूर करने की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब महाराष्ट्र में दलित समुदाय लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। महाराष्ट्र की घटना को देखते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा-व्यवस्था सख्त कर दी है, ताकि हालात को नियंत्रण में रखा जा सके।