लैब रिपोर्ट में फेल होने पर मैगी ने दी सफाई, हमारा प्रोडक्ट 100 फीसदी सुरक्षित
एफएमसीजी कंपनी नेस्ले इंडिया ने शाहजहांपुर में मैगी के सैंपल के जांच में फेल होने और जिला प्रशासन द्वारा जुर्माना लगाए जाने के बाद सफाई देते हुए कहा है कि मैगी को बनाने की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर राख का प्रयोग नहीं किया जाता और यह 100 फीसदी सुरक्षित है। नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने ईमेल के जरिए एक बयान में कहा, “हम अपने उपभोक्ताओं को दोबारा आश्वस्त करना चाहते हैं कि मैगी नूडल्स 100 फीसदी सुरक्षित हैं। हम दृढ़ता से दोहराते हैं कि इसे बनाने की प्रक्रिया में कहीं भी राख का इस्तेमाल नहीं किया जाता।” नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता के मुताबिक, “हमें अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।”
प्रवक्ता ने कहा कि इस संबंध में उपलब्ध सूचना से हमें यह पता चला कि संबद्ध नमूने साल 2015 के है और यह मामला नमूनों में राख पाए जाने से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि उनका नूडल्स ब्रांड नूडल्स, पास्ता और मसालों के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा तय मानकों के अनुरूप है। आपको बता दें कि हाल ही में शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने नेस्ले के लोकप्रिय ब्रांड मैगी के लैब जांच में कथित तौर पर फेल हो जाने पर नेस्ले इंडिया और इसके वितरकों पर जुर्माना लगाया है। प्रशासन ने नेस्ले पर 45 लाख रुपए जबकि इसके तीन वितरकों पर 15 लाख रुपए और इसके दो विक्रेताओं पर 11 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
उत्तर प्रदेश में यह पहला मामला नहीं है जब मैगी को लैब टेस्ट में फेल करार दिया गया है। बता दें कि इससे पहले जून 2015 में नेस्ले इंडिया ने एफएसएसएआई द्वारा मैगी पर प्रतिबंध लगाया था। मैगी पर लगे प्रतिबंध के बाद बाजारों से मैगी को वापस ले लिया गया था। नेस्ले इस मामले को कोर्ट तक लेकर गया जिसके बाद कई कानूनी लड़ाइयों के बाद नवंबर 2015 में मैगी नूडल्स को बाजार में फिर से उतार दिया गया था।