लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने से अन्ना हजारे नाराज, मोदी सरकार के खिलाफ उठाएंगे आवाज
पिछले चार सालों में लोकपाल की नियुक्ति नहीं किये जाने से परेशान भ्रष्टाचार विरोधी समाजसेवी अन्ना हजारे ने अगले साल शहीद दिवस पर 23 मार्च को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने कीआज घोषणा की। अन्ना हजारे ने यहां पर एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुये भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून में हालिया संशोधनों में एक उपबंध हटा दिया गया है जिसमें लोक सेवकों को अपनी संपत्ति की घोषणा करना अनिवार्य था। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार का इरादा परिलक्षित होता है।
हजारे ने कहा कि सरकार बहाना बना रही है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता नहीं होने के कारण लोकपाल की नियुक्त नहीं हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कम से कम भाजपा शासित राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति तो कर सकती है। हजारे की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की घोषणा से 2011 में तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार के खिलाफ की गयी प्रदर्शन की यादें ताजा हो गयी हैं। उस समय उनके प्रदर्शन और आमरण अनशन ने कई लोगों को प्रभावित किया था।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कांग्रेस को 2014 के आम चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हजारे ने कहा कि उन्होंने राजग सरकार को 30 से अधिक पत्र लिखा है लेकिन इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है और उनके पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया गया इसके पीछे कोई ‘अहम’ तो नहीं था। उन पत्रों में लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर सवाल उठाया गया था। 80 वर्षीय इस सामाजिक कार्यकर्ता ने देश में किसानों की दुर्दशा को लेकर भी केन्द्र पर हमला किया और कहा कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा पूरा करने में नाकाम रही। रिपोर्ट के मुताबिक इससे किसानों को खेती में निवेश के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा धन मिलता। हजारे ने कहा, 1995 से, देश में 12 लाख किसानों ने किसानों ने खुदकुशी की है और सरकारों ने उनके प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखायी है। प्रधानमंत्री के शब्दों और कृत्यों में एक बड़ी खाई है।