‘वंदे मातरम्’ में मां को सलाम किया जाता है, इसे गाने में परेशानी क्यों- उपराष्ट्रपति
उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सवाल किया कि किसी को राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ गाने में परेशानी क्यों होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस गीत का मतलब मां का अभिवादन करना है और इस गीत ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया था। नायडू ने अहमदनगर जिले में कहा, ‘‘मां तस्वीर नहीं है बल्कि हमारी मातृभूमि है। ‘वंदे मातरम्’ में मां को सलाम किया जाता है। इस पर किसी को कोई समस्या क्यों होनी चाहिए।’’ शिरडी साईबाबा संस्थान द्वारा आयोजित ग्लोबल साईं मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने कहा, ‘‘हमारी अलग जाति, पंथ और धर्म के बावजूद हम एक राष्ट्र, एक व्यक्ति और एक देश हैं।’’ उन्होंने कहा कि 20वीं सदी के संत साईबाबा के हिन्दू या मुसलमान होने का मुद्दा ‘‘अप्रासंगिक’’ है। उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वह (साई बाबा) एक सार्वभौमिक शिक्षक थे जो हिंदू धर्म और सूफीवाद के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का मिश्रण थे।’’ उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा और अन्य लोगों के साथ शांति एवं सद्भाव से रहने की साईबाबा की शिक्षा को सभी लोगों द्वारा अपनाए जाने की जरूरत है और यही उन्हें (साईबाबा को) सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘मानवता की सेवा ईश्वर की सेवा है। साईबाबा इस संस्कृति के एक अवतार थे।एक आधिकारिक बयान में नायडू के हवाले से कहा गया कि भारतीय नागरिक होने का मतलब आध्यात्मिक होना है, क्योंकि यह संकीर्ण एवं विभाजनकारी विचारों से ऊपर उठकर एक बड़ी पहचान हासिल करना है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक व्यापक समूह है और भारतीय के तौर पर पहचान का मतलब जन्म, जाति, धर्म या क्षेत्र आधारित पहचान से परे होना और एक व्यापक मुद्दे के लिए साथ आना है।’’