वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बहस डे-2: SC ने केंद्र को 7 दिन का वक्त देते हुए लगाई क्या शर्त पढ़िए

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 7 दिन का वक्त दिया. कोर्ट ने साथ ही यह शर्त भी लगाई कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया जाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया. कोर्ट ने कहा कि मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना संभव नहीं है. कोर्ट अब केवल 5 पर ही सुनवाई करेगा.
दूसरे दिन कोर्ट में क्या क्या हुआ
सुप्रीम कोर्टः ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी को छेड़ नहीं सकते
वक्फ एक्ट पर गुरुवार को दूसरे दिन सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यदि किसी वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उनको नहीं छेड़ा जा सकता.
केंद्र ने मानी सुप्रीम कोर्ट की शर्त
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि वह अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ को गैर-अधिसूचित यानी डिनोटिफाइ नहीं करेगा. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कौन कौन
- एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी)
- जमीयत उलमा-ए-हिंद
- द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक)
- कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी
- मोहम्मद जावेद
- कुल 72 याचिकाएं कोर्ट में हैं.
- कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह सिर्फ 5 याचिकाएं सुनेगा
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की कैविएट
केंद्र ने आठ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक ‘कैविएट’ दायर की थी. केंद्र ने कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की अपील की थी.
कैविएट होती क्या हैः हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष तय पक्का करने के लिए ‘कैविएट’ दायर करता है कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए.
जानें संसद में कैसे पास हुआ था वक्फ कानून
केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था, जिसे दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद संसद से पारित होने के पश्चात पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 सदस्यों ने मत दिया था. लोकसभा में इसके पक्ष में 288 तथा विरोध में 232 वोट पड़े. इस तरह यह दोनों सदनों से बिल पारित हुआ था.
पहले दिन सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले बुधवार को सुनवाई के पहले दिन नए वक्फ एक्ट के उस प्रावधान पर सवाल उठाए, जिसमें ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की बात कही गई है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया कि सदियों पुरानी मस्जिदों और अन्य वक्फ संपत्तियों के पास रजिस्ट्रेशन दस्तावेज होना जरूरी नहीं. उन्होंने कहा कि पहले से मान्य वक्फ संपत्तियों का दर्जा बदलना बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है. कोर्ट ने संकेत दिए है कि ऐसी संपत्तियों को डिनोटिफाई करने पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश जारी हो सकता है. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के वकीलों ने इस बात पर सहमति जताई है कि वे 5 याचिकाओं को मुख्य याचिका के रूप में पहचानेंगे और अन्य को आवेदन के रूप में माना जाएगा.’ इसके साथ ही उन्होंने दोनों पक्षों को नोडल काउंसल नियुक्त करने का आदेश दिया गया है.
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति
नए कानून में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान भी विवाद का केंद्र है. कोर्ट ने इसे धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ माना है. CJI ने केंद्र से सवाल किया कि क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति दी जाएगी. कोर्ट ने सुझाव दिया कि वक्फ बोर्ड और काउंसिल के स्थायी सदस्य केवल मुस्लिम ही होने चाहिए, जबकि गैर-मुस्लिम एक्स-ऑफिशियो सदस्य हो सकते हैं. इस पर भी अंतरिम आदेश की संभावना है.https://ndtv.in/video/embed-player/category/embed/khabar/classic/id/927521/autostart/0/pWidth/650/pHeight/403
कलेक्टर की शक्तियों पर आपत्ति
नए एक्ट में जिला कलेक्टर को दी गई शक्तियों पर भी कोर्ट ने आपत्ति जताई. कानून के अनुसार, यदि कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी घोषित करता है, तो उसे अदालत के अंतिम फैसले तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर जांच कर सकता है, लेकिन संपत्ति का वक्फ दर्जा तब तक प्रभावित नहीं होना चाहिए, जब तक अंतिम फैसला न हो. इस पर भी अंतरिम आदेश की उम्मीद है.
सबकी नजर आज होने वाली बहस पर है. एक बार फिर अदालत में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रखेंगे. वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रखेंगे. आज 2 बजे से बहस की शुरुआत होगी.