वरुण गांधी ने फिर अपनी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, इस बार निशाने पर रहा ये मंत्रालय

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोला है। वरुण गांधी ने केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा बड़े पैमाने पर वन विभाग की भूमि को दूसरे उद्देश्य के लिए आवंटित करने पर आपत्ति जताई है। वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि वन विभाग की जमीन को दूसरे उद्देश्यों को देना ठीक नहीं है, आखिरकार हम सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कहां से लाएंगे? वरुण गांधी ने ट्वीट किया, ‘सभी जगंलों को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किये जाने पर क्या सांस लेने के लिए कोई हवा बची रह पाएगी? हम लोग पहले से ही दमघोंटू माहौल में रहते आए हैं। बता दें कि वन मंत्रालय ने पिछले आठ महीनों में लगभग 92 हजार हेक्टेयर (618 किलोमीटर) जमीन को डायवर्ट कर दिया है। ये फैसला वन एवं पर्यावरण मंत्रालय फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी ने लिया है। फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी ने लगभग 70 प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन दूसरी संस्थाओं को दी है। वरुण गांधी ने वन मंत्रालय के इस फैसले को देश हित में नहीं बताया है। वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा डायवर्ट की गई जमीन का एक बड़ा हिस्से का इस्तेमाल (6,017 हेक्टेयर) विवादित केन-बेतवा प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा।

बता दें कि इससे पहले वरुण गांधी तब विवादों में आ गये थे जब उन्होंने कहा था कि भारत सरकार को अपनी आतिथ्य परंपराओं का ख्याल कर म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देना चाहिए। वरुण गांधी ने एक लेख लिखकर कहा था कि ‘आतिथ्य सत्कार और शरण देने की अपनी परंपरा का पालन करते हुए हमें शरण देना निश्चित रूप से जारी रखना चाहिए।’ लेकिन वरुण गांधी के इस बयान पर हंसराज अहीर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि कोई भी देशभक्त ऐसा नहीं सोचेगा।साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि वरुण गांधी का बयान देश हित में नहीं है। बता दें कि वरुण गांधी पिछले कुछ समय से सरकार के फैसलों को लेकर मुखर रहे हैं। और सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।

पिछले महीने ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि वरुण गांधी बीजेपी में फिट नहीं बैठते हैं। दिग्विजय सिंह के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले गये थे। बता दें कि केन्द्र सरकार म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना चाहती है। सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर किया है। सरकार की नीतियों से इतर वरुण गांधी के बयान की वजह से बीजेपी नेतृत्व को किरकिरी झेलनी पड़ी थी।

 

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