वसुंधरा राजे के खिलाफ बीजेपी विधायक ने खोला मोर्चा, लगे नारे- मुख्यमंत्री शर्म करो

राजस्थान में सीएम वसुंधरा राजे को अपनी ही पार्टी के अंदर तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह टकराव बीजेपी के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं। ताजा मामला शुक्रवार का है, जब दीनदयाल वाहिनी के कुछ सदस्यों ने जयपुर के सिविल लाइंस में विरोध मार्च निकाला। इनकी मांग थी कि वसुंधरा 13 सिविल लाइंस स्थित सरकारी बंगला खाली करें। करीब दो दर्जन प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, ‘मुख्यमंत्री शर्म करो, 13 नंबर खाली करो।’ दिलचस्प बात यह है कि दीनदयाल वाहिनी नाम के इस संगठन के संस्थापक बीजेपी विधायक घनश्याम तिवारी हैं।

तिवारी अपने बागी तेवरों के लिए जाने जाते हैं। पूर्व में कई मौकों पर तिवारी ने वंसुधरा का विरोध किया था। वह पूर्व की बीजेपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बता दें कि 13 सिविल लाइंस सीएम वसुंधरा राजे का आधिकारिक निवास नहीं है। जब अशोक गहलोत सरकार में वह विपक्ष की नेता थीं, तब से ही यह बंगला उनके नाम है। सीएम का आधिकारिक निवास 8 सिविल लाइंस है। 13 सिविल लाइंस बंगला खाली करने की मांग ऐसे वक्त में उठी है, जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद नेता को सरकारी बंगले में रहने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।

पूर्व सीएम अशोक गहलोत सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर मामला साफ करने के लिए कहा है। जहां तक राजस्थान का सवाल है, वसुंधरा राजे सरकार ने एक ऐसा कानून पास किया था, जिससे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले में रहने की इजाजत मिल गई। इतना ही नहीं, इन्हें मुफ्त बिजली, पानी, फोन और स्टाफ रखने की भी सहूलियत मिलती है। राज्य असेंबली में यह बिल आसानी से पास हो गया था क्योंकि बीजेपी को तगड़ा बहुमत हासिल है।

शुक्रवार को प्रदर्शन करने वाले दीनदयाल वाहिनी के लोगों ने राजस्थान मिनिस्ट्रीज सैलरीज (अमेंडमेंट) बिल 2017 का भी विरोध किया और इसकी प्रतियां जताईं। तिवारी वही शख्स हैं, जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कहा था कि वसुंधरा के सत्ता में रहते बीजेपी को अच्छे नतीजे नहीं मिल सकते। 13 सिविल लाइंस स्थित बंगले में वसुंधरा के रहने को उन्होंने 2000 करोड़ से ज्यादा की सरकारी संपत्ति को हड़पने की कोशिश करार दिया था।

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