वाड्रा के करीबी कांग्रेस नेता के परिसरों पर छापे
बीकानेर में एक भूमि घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले की अपनी जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रॉबर्ट वाड्रा के एक करीबी और कांग्रेस नेता महेश नागर के फरीदाबाद स्थित परिसरों पर छापेमारी की। नागर एमएस स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। इस कंपनी के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा से कथित ताल्लुकात हैं। महेश नागर के बताए जा रहे परिसर उनके भाई ललित नागर के नाम पर हैं।
ईडी की टीम ने शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे से फरीदाबाद के खेड़ी रोड स्थित ललित नागर के कार्यालय पर छापेमारी शुरू की थी। कार्यालय में उस समय कुछ कर्मचारी मौजूद थे और थोड़ी देर बाद ललित नागर भी वहां पहुंचे। ईडी ने कुछ महीने पहले भी जांच के सिलसिले में ललित नागर के सेक्टर 17 स्थित घर और पैतृक गांव में छापेमारी की थी। ललित के भाई महेश नागर पर आरोप है कि इन्होंने रॉबर्ट वाड्रा के लिए अपने परिचितों के नाम से जमीन खरीदी थी। इससे पहले ईडी की टीम उनके ड्राइवर को गिरफ्तार कर चुकी है। कुछ महीने पहले भी बीकानेर से ईडी की टीम फरीदाबाद पहुंची थी और उसने ललित नागर के घर पर जांच की थी। पिछले साल दिसंबर में जांच एजंसी ने नागर के करीबी सहयोगी अशोक कुमार और अन्य एक व्यक्ति जयप्रकाश भार्गव को गिरफ्तार किया था।
महेश नागर कांग्रेस नेता हैं और राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा से उनके करीबी संबंध हैं। ईडी के अधिकारियों के अनुसार, वाड्रा की तरफ से जमीन खरीदने की कानूनी अथॉरिटी कांग्रेस नेता महेश नागर के पास थी। दूसरी ओर, फर्जी किसान के रूप में भी जो अधिकार दिए गए थे, वे महेश नागर के ड्राइवर अशोक के पास थे। पहचान के फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्जीवाड़ा कर जमीन खरीदी जा रही थी।
ईडी अधिकारियों के अनुसार, अशोक कुमार स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के महेश नागर के सहायक के करीबी हैं। दिल्ली स्थित इस आतिथ्य कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि वाड्रा 2007 से उसके निदेशकों में से एक रहे हैं। दूसरी ओर, ईडी ने अपने बयान में कहा है कि अशोक कुमार को महेश नागर के लिए इस्तेमाल किया गया था। ईडी का दावा है कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 69.55 हेक्टेयर जमीन को 72 लाख रुपए में खरीद कर एलेगेंनी फिनलीज नाम की कंपनी को 5.15 करोड़ रुपए में बेच दिया। इस तरह स्काईलाइट ने 4.43 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। जांच के दौरान यह पाया गया कि एलेगेंनी फिनलीज एक कंपनी के रूप में किसी भी वास्तविक व्यापार गतिविधियों में शामिल नहीं है और इसके कई शेयरधारक फर्जी पाए गए।