विज्ञान दिवस: कार्यक्रम में इवॉल्यूशन को सही ठहराया गया, डार्विन को गलत बताने वाले उठकर चल दिए
दिल्ली की भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) में बुधवार (28 फरवरी) को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह मनाया गया। इस मौके पर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह भी पहुंचे थे। वह बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में मौजूद थे, लेकिन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के बाद ही वह वहां से चल दिए। कार्यक्रम में चार्ल्स डार्विन के मानव के क्रम-विकास को सही ठहराया गया, जिसे सत्यपाल सिंह गलत ठहरा चुके हैं। सत्यपाल सिंह ने जनवरी में एक कार्यक्रम में कहा था कि क्रम विकास को लेकर डार्विन का सिद्धांत गलत है। उन्होंने कहा था कि पूर्वजों में से किसी ने न तो कभी लिखित और न ही मौखिक रूप से बताया कि उन्होंने कभी किसी बंदर को इंसान बनते हुए देखा। उन्होंने कहा था कि स्कूल और कॉलेजों में डार्विन के मानव के क्रम विकास संबंधी थ्योरी को हटा देना चाहिए। उनकी इस राय के बाद वैज्ञानिक तबके में हलचल मच गई थी और वैज्ञानिकों के एक वर्ग ने उनकी कड़ी आलोचना की थी।
विज्ञान अकादमी में सत्यपाल सिंह ने वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दूसरों के साथ-साथ अपने आप से भी सवाल पूछना चाहिए, यही इस ओर पहला कदम है। सत्यपाल सिंह ने इस मौके पर ‘आध्यात्मिक विज्ञान’ के बारे में भी बात की। इसके बाद विज्ञान दिवस के किसी भी सत्र के लिए सत्यपाल सिंह नहीं रुके और वहां से चले गए। इन सत्रों में एक सत्र बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र के विकासवादी जीव विज्ञान के प्रोफेसर अमिताभ जोशी का जीव विज्ञान और हमारे जीवन में क्रम विकास के केंद्र में रहने को लेकर था।
विज्ञान दिवस के उद्घाटन सत्र के दौरान सत्यपाल सिंह ने कहा कि यूरोप में विज्ञान और धर्म को लेकर काफी लंबा संघर्ष हुआ, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म के अनुसार प्राकृतिक कानूनों को जानना और उन्हें मानना ही धर्म है। सत्यपाल सिंह ने कहा कि विज्ञान विपरीत धारणाओं में बढ़ता है, कई बार गलत भी होता है, क्या इस तरह से विज्ञान के बढ़ने पर हमें मूल्यों की सीख मिलेगी? उन्होंने कहा कि जब तक कि हम आध्यात्मिक विज्ञान की बात नहीं करेंगे तब तक ऐसा नहीं होगा। जोशी ने सत्यपाल सिंह की धारणा के पीछे बड़ी चालाकी से परोसी की कुछ वेबसाइटों के सामग्री के प्रति आशंका जताई।