विपक्ष का साझा मोर्चा बनाने में जुटीं सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुआई में एकजुट होने को लेकर पर कुछ अनुभवी विपक्षी क्षत्रपों द्वारा अंदरखाने एतराज जताए जाने के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी सक्रिय हो गई हैं। विपक्षी एकता की सूत्रधार के नए किरदार में उन्होंने तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद तेज कर दी है। लोकसभा के आगामी चुनाव के मद्देनजर भाजपा के सामने विपक्ष की तगड़ी चुनौती पेश करने के मकसद से सोनिया ने गुरुवार को तमाम विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में करीब डेढ़ दर्जन विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधियों के शिरकत करने का दावा किया जा रहा है।

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाले चौधरी अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल को छोड़कर तमाम विपक्षी दलों के इस बैठक में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। यह बैठक संसद की लाइब्रेरी में बुलाई गई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस यह बात पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से भले हट गई हों, लेकिन महत्त्वपूर्ण मामलों में पार्टी की ओर से उनकी सक्रियता जारी रहेगी।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान राहुल गांधी को सौंपे जाने के बाद विभिन्न क्षेत्रीय दलों का युवा नेतृत्व मसलन, राजद नेता तेजस्वी यादव, सपा के नए सुप्रीमो अखिलेश यादव, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, उमर अब्दुल्ला आदि नेताओं को तो राहुल के नेतृत्व पर कोई एतराज नहीं है। लेकिन चाहे मराठा क्षत्रप शरद पवार हों या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों, ऐसे कई कद्दावर नेता हैं जो खुद को राहुल गांधी के नेतृत्व में असहज महसूस कर रहे हैं। इन नेताओं ने अपना असंतोष खुले तौर पर भले नहीं जताया हो, लेकिन अंदरखाने यह बात जोर-शोर से चल रही है। हाल ही में शरद पवार की अगुआई में मुंबई में निकाली गई संविधान बचाओ रैली हो या पिछले दिनों पवार द्वारा अपने नई दिल्ली आवास पर बुलाई गई विपक्षी दलों की एक बैठक को एक नया मोर्चा खड़ा करने की कवायद के तौर पर देखा गया।

सोनिया गांधी की बुलाई विपक्षी दलों की बैठक को लेकर सियासी पंडितों का आकलन है कि इसके माध्यम से सोनिया विपक्ष के तमाम दलों को और देश को भी यह संदेश देना चाहती हैं कि कांग्रेस भाजपा से मुकाबला करने के लिए तमाम विपक्षी दलों से हाथ मिलाने को तैयार है। दूसरी ओर वे यह भी बताना चाह रही हैं कि विपक्ष का सबसे बड़ा दल होने के नाते भाजपा के खिलाफ अगर कोई साझा मोर्चा बनता है तो उसकी अगुआई कांग्रेस ही करेगी, शरद पवार या किसी अन्य नेता को यह मौका नहीं दिया जाएगा। दिलचस्प यह भी है कि युवा राहुल के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाने वाले कद्दावर विपक्षी क्षत्रप सोनिया गांधी की अगुआई में एकजुट होने की बात से इनकार नहीं कर पा रहे।

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