वैष्णो देवी दर्शन में श्रद्धालुओं को हो सकती है परेशानी, मोदी सरकार के मंत्री ने की ये मांग
भविष्य में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो सकती है। ये परेशानी कटरा से माता के मंदिर तक जाने को लेकर जुड़ी है। दरअसल केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने मांग की है कि श्रद्धालुओं को माता के मंदिर तक ले जाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले खच्चरों, टट्टूओं और घोड़ों, गधों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। मेनका गांधी ने इस बावत जम्मू कश्मीर के सीएम महबूबा मुफ्ती को चिट्ठी लिखी है। बता दें कि इस वक्त लगभग 5000 ऐसे जानवर हैं, जिनका प्रयोग सामान और श्रद्धालुओं को चोटी पर स्थित माता के मंदिर तक पहुंचाने के लिए किया जाता है। मेनका गांधी के मुताबिक ये जानवर ग्लैंडर्स नाम की खतरनाक बीमारी के संक्रमण का बड़ा जरिया हैं। मेनका गांधी का कहना है कि इन जानवरों को पालने वाले लोग खतरनाक ग्लैंडर्स वायरस के संपर्क में आने के गंभीर खतरे में होते हैं। इस वायरस का दुनिया भर में कोई इलाज नहीं है। जो शख्स घोड़ों, खच्चरों और गधों के जरिए इस वायरस की चपेट में आता है उसकी मौत हो जाती है। बता दें कि वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई यात्री खच्चरों गधों और टट्टूओं का सहारा लेते हैं। ऐसे में अगर इन जानवरों के इस्तेमाल पर अगर बैन लगा दिया गया तो ऐसे तीर्थयात्रियों को काफी परेशानी हो सकती है।
मेनका गांधी ने महबूबा मुफ्ती को लिखी चिट्ठी में कहा कि वैष्णो देवी पहुंचने के रास्ते में इस वायरस के आने का खतरा है, और इस पर नियंत्रण रखना भी मुश्किल है। इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इस मसले को अपने संज्ञान में लिया था। एनजीटी ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव और माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ को निर्देश दिया था कि इस मसले पर संबंध पक्षों के साथ मीटिंग कर वे इस मसले का समाधान निकालें। एनजीटी ने कहा कि सरकार को खच्चरों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए, साथ ही इनके मालिकों के लिए भी रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए। कटरा के व्यापारियों ने भी इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि गधों और खच्चरों के जगह पर दूसरे साधनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए।
मेनका गांधी ने सीएम को कहा है कि वैष्णो देवी जाने के रास्ते में जो लोग जानवरों का इस्तेमाल करते हैं उनके लिए बैट्री से चलने वाले रिक्शे लाएं जाएं और इन रिक्शों को चलाने का जिम्मा खच्चरों और गधों के मालिकों को दिया जाए। ताकि उनकी रोजी-रोटी भी चलती रहे।