वो पुलिस अफसर जिसकी ‘डार्लिंग’ ने 100 से ज्यादा डकैतों को उतार दिया मौत के घाट

फिल्मों में आपने निडर पुलिस वालों को बदमाशों का सफाया करते जरूर देखा होगा। लेकिन रील और रीयल लाइफ की कहानी बिल्कुल अलग होती है। जिस कहानी की आज हम चर्चा कर रहे हैं वो रीयल लाइफ के एक ऐसे पुलिस अफसर की है जिसकी ‘डार्लिंग’ के सामने आते ही बड़े से बड़ा तीस मार खां पानी मांगने लगते थे। इस बहादुर पुलिस वाले की ‘डार्लिंग’ ने अब तक कितने डाकुओं को मौत की नींद सुलाया है उसकी सही-सही गिनती कर पाना भी मुमकिन नहीं है। यह सच है कि चंबल की पहाड़ियां कभी दुर्दांत डाकुओं का सबसे महफूज ठिकाना हुआ करती थी। दुर्गम रास्ते और चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे होने की वजह से बड़े-बड़े सूरमा भी उन डाकुओं से पंगा लेने में और यहां जाने तक में कतराते थे।

मध्य प्रदेश पुलिस में डीएसपी रहे अशोक सिंह भदौरिया की ‘डार्लिंग’ इन डाकुओं के लिए काल साबित हुई। भदौरिया की ‘डार्लिंग’ की वजह से ही उनकी चर्चा देश के किसी भी चर्चित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट से ज्यादा की जाती है। इस अफसर की ‘डार्लिंग’ ने अब तक करीब 116 डाकुओं को उनके अंजाम तक पहुंचाया है। दयाराम गड़रिया गैंग, बेजू गड़रिया गैंग, रामबाबू गड़रिया गैंग, रघुवर गड़रिया गैंग और ना जाने ऐसे कितने ही गैंगस्टर हैं जिनको भदौरिया की ‘डार्लिंग’ ने चुन-चुन कर ऊपर पहुंचा दिया। यकीनन आपके जेहन में यह सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि आखिर ऐसे बहादुर अफसर की वो कौन सी ऐसी ‘डार्लिंग’ थी जिसने डाकुओं पर इस तरह अंकुश लगा दिया था।

दरअसल इस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की ‘डार्लिंग’ कोई और नहीं बल्कि उनकी एके-47 थी। जी हां, जिस एके-47 से अशोक सिंह भदौरिया ने 100 से भी ज्यादा डाकुओं को मौत के घाट उतार दिया उसे वो प्यार से ‘डार्लिंग’ कहते थे। 16 बार राष्ट्रीय वीरता पदक हासिल करने वाले अशोक भदौरिया के बारे में कहा जाता था कि जिस दिन वो अपनी ‘डार्लिंग’ के साथ सरकारी गाड़ी में निकलते उस दिन चंबल के डाकुओं में हड़कंप मच जाता। अपनी ‘डार्लिंग’ के साथ यह अफसर बेखौफ होकर अपराधियों से भरे जंगलों और पहाड़ों पर घूमता था। अशोक भदौरिया ऐसे पुलिस अधिकारी की लिस्ट में शामिल हैं जिनसे डर कर या तो चंबल के खूंखार डाकुओं ने सरेंडर कर दिया या फिर उनकी ‘डार्लिंग’ के शिकार बन गए।

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