शरद गुट ने बुलाई जद(एकी) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में जनता दल (एकी) के शामिल होने का विरोध कर रहे पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की अगुआई वाले असंतुष्ट गुट ने 17 सितंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इस गुट ने आठ अक्तूबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है। इस सम्मेलन में प्रस्तावना पारित कर यह गुट शामिल प्रतिनिधियों के दस्तखत वाले दस्तावेज चुनाव आयोग में जमा करेगा। शरद यादव के करीबी नेता अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 17 सितंबर को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। 18 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक अब आठ अक्तूबर को होगी। अरुण कुमार श्रीवास्तव पार्टी की गुजरात इकाई के महासचिव थे, जिन्हें नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव के दौरान बर्खास्त कर दिया था। अब वे शरद यादव की अगुआई वाली जद (एकी) में महासचिव की हैसियत से पार्टी कार्यक्रमों का एलान कर रहे हैं।
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाले गुट ने जद (एकी) के मौजूदा चुनाव चिह्न पर दावा पेश करते हुए शुक्रवार को चुनाव आयोग को आवेदन सौंपा। पार्टी के संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और पार्टी नेता केसी त्यागी नेआयोग में आवेदन पेश किया। त्यागी ने बताया कि जदयू के सभी पदाधिकारियों और विधायिका के विभिन्न सदनों के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के जद (एकी) अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ होने के आधार पर आयोग से पार्टी का चिह्न उनके गुट को आवंटित करने की मांग की गई। त्यागी ने शरद यादव गुट द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने को लेकर कहा कि यह अधिकार पार्टी अध्यक्ष के रूप में नीतीश कुमार का है।
नीतीश कुमार गुट के द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे आवेदन के बारे में श्रीवास्तव ने कहा कि उनके साथ भले ही विधायक और सांसद हों, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी और प्रदेश की इकाइयां शरद यादव के साथ हैं। उन्होंने दलील दी कि कोई भी पार्टी विधायकों और सांसदों से नहीं, बल्कि पदाधिकारियों से बनती है। उन्होंने शरद यादव के स्वयं पार्टी से अलग होने के नीतीश गुट के दावे को गलत बताते हुए कहा कि जद (एकी) के संविधान की धारा 10 के मुताबिक पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाने वाला सदस्य स्वत: पार्टी से बाहर माना जाता है। श्रीवास्तव ने कहा कि पार्टी की पिछली कार्यकारिणी की बैठक में संघ मुक्त भारत का प्रस्ताव पारित किया गया था, यादव पार्टी के इस फैसले के साथ हैं। इसलिए पार्टी के फैसले का उल्लंघन यादव ने नहीं, राजग में शामिल होकर कुमार ने किया है।