शरिया अदालत: पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी बोले- कानून में हर समुदाय के पास अपने कायदे मानने का हक

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शरिया अदालतों के पक्ष में बयान दिया है। देश भर में शरिया अदालतें खोलने की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की योजना पर हामिद अंसारी ने कहा कि देश के सभी समुदायों को अपना पर्सनल लॉ मानने का अधिकार है। समाचार एजेंसी एएनआई के बातचीत में हामिद अंसारी ने कहा कि लोग सामाजिक प्रथाओं को विधि प्रणाली से जोड़ रहे हैं कि जो भ्रम फैलाने वाला है। उन्होंने कहा, “हमारा कानून इस बात की इजाजत देता है कि हर समुदाय अपने नियम मान सकती है, भारत में पर्सनल लॉ-शादी, तलाक, गोद लेना, और उत्तराधिकार जैसे मुद्दे कवर करती है, हर समुदाय को अधिकार है कि वह अपने पर्सनल लॉ को माने।”

इस दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है। हामिद अंसारी ने कहा, “मुझे लगता है कि लोगों की प्रतिक्रिया सबकुछ कहती है, किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है, इस देश में एक कानून है।” पूर्व उपराष्ट्रति से जब पूछा गया कि क्या वो सोशल मीडिया के इस दौर में माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर आना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि ट्विटर ज्वाइन करने की उनकी कोई मंशा नहीं है। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, “तकनीक के मामले में मैं अभी भी 20वीं सदी में हूं, मेरे पास कम्प्यूटर और किताबें हैं, इसी के साथ मैं बहुत खुश हूं।”

बता दें कि भारत में मुसलमानों की सबसे बड़ी प्रतिनिधि संस्था होने का दावा करने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसकी योजना देश के हर जिले में शरिया कोर्ट खोलने की है। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा था कि दिल्ली में आगामी 15 जुलाई को होने वाली बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। इस्लामिक मान्यता में इन अदालतों को दारूल कजा कहा जता है। जफरयाब जिलाने ने कहा कि इस अदालतों में लोग पारिवारिक अदालतें सुलझा सकेंगे। बीजेपी ने AIMPLB की इस योजना का विरोध किया है और ऐसी किसी भी कोशिश को असंवैधानिक करार दिया है।

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