..शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक बालिका गृह में 34 बच्चियों के साथ हुए कथित बलात्कार के विरोध में सोमवार को दिल्ली के बिहार भवन पर प्रदर्शन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन में कई संस्थाओं ने बिना किसी दलगत राजनीति के बिहार में बच्चियों के साथ हुई बर्बरता का विरोध किया। सामाजिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोपियों का साथ देने का आरोप भी लगाया।
लैंगिक असमानता के मुद्दे पर साइकिल से पूरे भारत का भ्रमण करने वाले राइडर राकेश ने मांग की कि बिहार के मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने भाजपा और जद (एकी) पर आरोपियों के साथ सांठगांठ का आरोप भी लगाया। उन्होंने बालिका गृह की पीड़ित बच्चियों के लिए न्याय की मांग करते हुए कहा कि उन्हें सीबीआइ जांच पर भरोसा नहीं है और मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जजों की निगरानी में कराई जानी चाहिए। राकेश इस कार्यक्रम के आयोजक सदस्य हैं। इस देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में मुख्य भूमिका निभाने वाली रीवा सिंह ने कहा यह मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है।
उन्होंने मांग की कि केवल मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की ही नहीं, बल्कि देश के सभी बालिका गृहों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए, यह सरकार की जिम्मेदारी है। रीवा ने कहा यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि देश के सभी बालगृहों में बच्चों की स्थिति चिंताजनक है। इस कार्यक्रम में महिला और बच्चों की आवाज उठाने वाले कई चेहरे नजर आए। गीताश्री, अस्मिता थिएटर समूह के अरविंद गौड़, रश्मि भारद्वाज और सुशील आनंद ने इसमें हिस्सा लिया। कार्यक्रम में करीब 500 लोगों ने भागीदारी दिखाई।
‘राजनीतिक दल वापस जाओ’ के लगे नारे
इस कार्यक्रम की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से हुई। अस्मिता थिएटर समूह ने मुजफ्फरपुर की घटना के विरोध को सामाजिक रूप से रखते हुए दुष्यंत की कविता ‘हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए…’ पर नुक्कड़ नाटक पेश किया। इस बीच आइसा व जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) आदि संगठनों ने आकर मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने अपने झंडे और बैनर लेकर सरकार विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए। शांतिपूर्ण ढंग से जारी प्रदर्शन के बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक दलों का झंडा लहराते हुए नारेबाजी की और बिहार भवन के सामने की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। बिगड़ते माहौल को देखते हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने आई महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करते हुए ‘पॉलिटिकल पार्टीज गो बैक’ के नारे लगाए। जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने बच्चियों के साथ हुई बर्बरता को भाजपा और जनता दल (एकी) का संगठित अपराध बताया।