शास्त्रों के अनुसार जानिए ‘ऊँ’ के उच्चारण का महत्व और इसकी सही विधि

हिंदू धर्म में ‘ऊँ’ को बहुत ही पवित्र माना गया है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग ‘ऊँ’ का जाप भी खूब करते हैं। ‘ऊँ’ के जाप के ढेरों फायदे बताए गए हैं। इन सबके बीच आज हम आपको शास्त्रों के अनुसार बताएंगे कि ‘ऊं’ के उच्चारण का क्या महत्व है। और इसका उच्चारण करने की सही विधि क्या है। कहते हैं कि ‘ऊं’ के उच्चारण से ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसके उच्चारण से ताजगी की अनुभूति होती है। शास्त्रों के अनुसार ‘ऊँ’ का उच्चारण करने से मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति नियमीत रूप से ‘ऊं’ का उच्चारण करता है, उसमें सदैव सकारात्मकता पाई जाती है। माना जाता है कि ‘ऊँ’ का जाप करने से मन के नकारात्मक भाव दूर होते हैं जिससे व्यक्ति को खुशियों का एहसास होता है।

शास्त्रों में ‘ऊं’ का उच्चारण करने की एक खास विधि बताई गई है। कहते हैं कि इस विधि से ‘ऊँ’ का उच्चारण करने से अत्यधिक लाभ मिलता है। इसके अनुसार ‘ऊँ’ का उच्चारण आ, उ और म को जोड़कर करना चाहिए। इसके तहत आ का उच्चारण करते वक्त नाभि में कंपन होनी चाहिए। वहीं, उ का उच्चारण करने पर आपकी छाती में और म का उच्चारण करते वक्त गले में कंपन होनी चाहिए। माना जाता है कि इस तरीके से ‘ऊं’ का उच्चारण करने से उसका सकारात्मक प्रभाव आपके शरीर और मस्तिष्क पर पड़ता है।

माना जाता है कि ‘ऊँ’ का उच्चारण करते समय जब ‘म’ की ध्वनि निकलती है तो उससे मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है। कहते हैं कि इससे व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति अपना जीवन काफी आसानी से और प्रेम पूर्वक गुजारता है। इसके अलावा ‘ऊं’ का उच्चारण करते वक्त आसपास के वातावरण में शांति होनी चाहिए। इसके साथ ही साफ-सफाई की भी पर्याप्त व्यवस्था हो।

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