शिकागो में मोहन भागवत बोले- हिन्दू विरोध करने को नहीं जीते लेकिन खुद की रक्षा करना सीखना होगा
राष्ट्रीय स्वंय संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार (7 सितंबर) को कहा कि, “दुनिया के हिंदुओं ने अपने मतभेदों के बावजूद अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदू समाज को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से बचाने के लिए एक साथ काम करना शुरू कर दिया। हिंदू विरोध करने को नहीं जीते, पर खुद की रक्षा करना सीखना होगा।” भागवत ने विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा शिकागो में आयोजित वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस ये बातें कही। हिंदुओं की एकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, “यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि कई क्षेत्रों में हिंदू समाज के मेधावी लोगों की संख्या होते हुए भी हिंदुओं को मजबूत करना हमेशा मुश्किल रहा है। शुरुआत से ही हिंदुओं को एकसाथ मिलाकर रखना कठिन काम था। जब हमारे स्वयंसेवक लोगों को संगठित करने की कोशिश करेंगे, तो वे कहेंगे कि ‘शेर कभी भी समूह में नहीं चलता’, लेकिन वह शेर हो या रॉयल बंगाल टाइगर, जब वह अकेले चल रहा है तो, जंगली कुत्ते एक साथ आक्रमण उसे नष्ट कर सकते हैं। हिंदू विरोध करने के लिए नहीं जीते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो हमारा विरोध कर सकते हैं। हमें इस बात के लिए तैयार रहना होगा कि कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके। हमें जीवन के हर पहलू में मजबूत होना चाहिए। हमें राजनीति और अर्थशास्त्र सबके बारे में सोचना होगा।”
मोहन भागवत ने कहा, “हिंदुओं को एक साथ करने के लिए, हमें एक दूसरे के साथ विलय करने की जरूरत नहीं है। हमें ऐसा करने के लिए एकसाथ या अलग-अलग सीखना होगा। यदि आप सबके बीच ज्यादा तेज हैं तो यह आपका कर्तव्य है आखिरी व्यक्ति की प्रतीक्षा करें। सबसे धीमे गति वाले व्यक्ति को अपने लेवल तक लाने का प्रयास करें। हिन्दू समाज को समृद्ध करने के लिए हिंदुओं को समृद्ध होना चाहिए।” भागवत ने कहा कि एक समय था कि हिंदू समाज ने दुनिया के सामने अपनी एकता का प्रदर्शन किया और अपने प्राचीन ज्ञान और मूल्यों पर वापस चला गया। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी चीज की कमी और अधिकता से बचना चाहिए। अपने आप को अहंकार से दूर रखना चाहिए। धैर्य के अलावा, हिंदू समाज को अपनी क्षमता तक पहुंचने के लिए बुद्ध (बुद्धि), शक्ति (शक्ति) और परक्राम (वालर) के प्राचीन मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए।”