शिवराज पर छाया अमेरिकी खुमार! मगर किसान आत्महत्या, महिलाओं से अत्याचार में अव्वल है एमपी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल और दिमाग पर अमेरिका की गहरी छाप है, कम से कम उनके बयानों से तो यही नजर आता है। वे कभी कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सड़कें वाशिंगटन से अच्छी है तो कभी वे राज्य को अमेरिका के नगरों से बेहतर बनाना चाहते हैं। सवाल उठता है कि उन पर अमेरिकी खुमार क्यों है और उनकी राज्य को अमेरिका से बेहतर बनाने की इच्छा के पीछे का राज क्या है।

किसान आत्महत्या, महिलाओं से अत्याचार के मामले में राज्य देश में अव्वल है, बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ती जा रही है, किसानों को फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। नदियों में जारी खनन के कारण कई नदियों का अस्तित्व ही संकट में पड़ने की कगार पर है, वहीं कानून व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। उसके बावजूद मुख्यमंत्री चौहान राज्य को अमेरिका जैसा बनाना चाहते हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मुख्यमंत्री के बयानों पर तंज कसते हुए कहते हैं कि शिवराज राज्य की सड़कों की तुलना महाराष्ट्र, गुजरात या देश के अन्य राज्यों से करें तो बात समझ में आती है, लेकिन न जाने क्यों वे अमेरिका की रट लगाए रहते हैं।

शिवराज जब अमेरिका के दौरे पर गए थे, तब उन्होंने वाशिंगटन से राज्य की सड़कें बेहतर होने की बात कहकर खूब सुर्खियां बटोरी थीं। वे आज भी इस बात पर कायम हैं कि इंदौर और भोपाल की कुछ सड़कें वाशिंगटन की सड़कों से बेहतर हैं। अब तो वे समूचे राज्य को ही अमेरिका से बेहतर बनाने की बात कहने लगे हैं।

मुख्यमंत्री चौहान का कहना है, “हमारे पास उपलबियों की पूंजी है। विधानसभा चुनाव-2018 प्रदेश के विकास के लिए और स्वíणम प्रदेश बनाने के लिए है। कांग्रेस की अफवाहें फैलाकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश में लगी है।”

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि एक बड़ी चर्चित कहावत है- ‘मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता’ ठीक इसी तरह जब अमेरिका जाओगे तब तो अमेरिका के शहरों के विकास को जान पाओगे। यह बात शिवराज जानते हैं। प्रदेश के बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो अपने जीवन में कभी अमेरिका जा पाएंगे और अमेरिका से राज्य की तुलना कर सकेंगे। शिवराज राजनीति के चतुर सुजानों में गिने जाते हैं, लिहाजा वे ऐसे बयान देने में माहिर हैं, जिन्हें कसौटी पर परख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है।

राज्य में आज भी कई सड़कों का हाल यह है कि उन पर सफर करना किसी खतरे से कम नहीं है। इसके साथ ही राज्य पर लगभग दो लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है, आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, कर्मचारी वर्ग में बेतहाशा असंतोष है। यही कारण है कि किसी न किसी कर्मचारी संगठन का आंदोलन आए दिन चलता ही रहता है।

समाजवादी नेता और लोक क्रांति अभियान के समन्वयक गोविंद यादव का कहना है, “राज्य की हालत बुरी है, मगर शिवराज गप्पें देने में माहिर हैं, जनता उनकी गप्पों के भ्रमजाल में फंस जाती है। अब तो राजनीति में केंद्र हो या राज्य, दोनों जगह गपोड़ियों का ही बोल बाला है। जनता अब जान गई है कि गप्पों से न तो देश का विकास होगा और न ही राज्य का। लिहाजा, आगामी चुनाव में उन्हें जमीन नजर आ जाएगी।”

भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि अमेरिका को दुनिया में प्रगति, विकास, सुविधा के मामले में अव्वल माना जाता है। लिहाजा, मुख्यमंत्री राज्य में उससे बेहतर सुविधाएं, विकास और प्रगति देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। राज्य की सड़कें अमेरिका से बेहतर हैं, यह बात मुख्यमंत्री कह भी चुके हैं।

राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, शिवराज जहां राज्य को दुनिया का सवरेत्तम राज्य बनाने का वादा कर रहे हैं तो कांग्रेस उसके अब तक के विकास और राज्य की अमेरिका से तुलना पर सवाल उठा रही है। अब तो जनता को ही तय करना है कि क्या वाकई में मप्र के लोगों को सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं या उन्हें सिर्फ भरमाया जा रहा है।

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