शिवसेना का सवाल, सांसद रहते हुए कास्टिंग काउच पर क्यों नहीं बोलीं रेणुका चौधरी

कास्टिंग काउच पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने आज कहा कि उन्होंने यह मुद्दा तब क्यों नहीं उठाया जब वह सांसद थीं। रेणुका ने कहा था कि कास्टिंग काउच संस्कृति से संसद भी अछूती नहीं है। उन्होंने कहा था कि यह सिर्फ फिल्म उद्योग से जुड़ा ‘कड़वा सच’ नहीं है, बल्कि सभी कार्य क्षेत्रों में ऐसा होता है। शिवसेना ने कहा कि उनकी टिप्पणी भले ही ‘गैर जिम्मेदाराना’ और ‘देश की महिलाओं का अपमान’ करने वाली हो, लेकिन मोदी सरकार को इन आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा, “रेणुका का बयान गैरजिम्मेदाराना और देश की सभी महिलाओं का अपमान करने वाला था, वह खुद भी एक सांसद और एक केंद्रीय मंत्री रही हैं। जब राज्यसभा की उनकी सदस्यता खत्म होने को आई, तब उन्हें कास्टिंग काउच याद आ गया।” संपादकीय में कहा गया कि रेणुका ने कहा था कि महिलाओं का शोषण सभी कार्य क्षेत्रों में होता है। उनके मुताबिक, यह सिर्फ फिल्म जगत में नहीं होता, बल्कि संसद में भी होता है।

शिवसेना ने पूछा, “अगर यह सब कुछ संसद में हो रहा था, तो उन्होंने पहले इसके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई? अगर उनकी आंखों के सामने महिलाओं का शोषण हो रहा था तो उन्होंने इसके बारे में संसद में बात क्यों नहीं की? उन्होंने इस बारे में तभी क्यों बोला जब उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया?” संपादकीय में कहा गया, “लेकिन अगर तब भी यह सब सच है तो उनकी कांग्रेस पार्टी को इसके बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। संसद लोकतंत्र का एक मंदिर है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह आरोप उनकी अपनी पार्टी पर है।”

“कांग्रेस कई सालों तक सत्ता में रही और मोदी सरकार केवल पिछले चार साल से सत्ता में है, लेकिन मोदी सरकार को उनके आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर संसद में कास्टिंग काउच होता है तो यह कब से हो रहा है?” बॉलीवुड की जानी-मानी कोरियोग्राफर सरोज खान द्वारा फिल्म जगत में कास्टिंग काउच संस्कृति का बचाव करने के बाद रेणुका इस मुद्दे पर बोली थीं, जिस पर शिवसेना का कहना है कि अगर उन्होंने यह बात संसद में उठाई होती तो इसे गंभीरता से लिया जाता।

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