शिवसेना को मिलने वाले चुनावी चंदे में बड़ी गिरावट, 2 साल में 70% कमी
देशभर की सभी सक्रिय क्षेत्रिय पार्टियों ने अपनी आय घोषित की है। इसके मुताबिक क्षेत्रिय पार्टियों को 6,339 लोगों या संस्थाओं ने चंदा दिया है। इसमें बीस हजार से ज्यादा या इससे कम के चंदे को भी शामिल किया गया है। दरअसल, पीपुल्स एक्ट, 1951 के प्रतिनिधित्व सेक्शन 29 (1) के तहत राजनीतिक दलों को अपने चंदे का विवरण देना होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक क्षेत्रीय पार्टी जैसे SAD, MGP, DMK, AINRC, AGP, NPF और DMDK ने अपनी रिपोर्ट में 20,000 रुपए से कम दिए गए चंदे का भी जिक्र किया है।
राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई जानकारी के आधार पर तैयार हुई रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में 2016-17 में कुछ पार्टियों के चंदे में खासी बढ़ोतरी देखनी को मिली है। रिपोर्ट कहती हैं कि AGP, SAD, JDS, MNS और AAP के चंदे में वित्त वर्ष में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। असम गण परिषद (AGP) के चंदे में करीब 7183 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अकाली दल के चंदे में 5842 फीसदी को बढ़ोतरी हुई है, जबकि तीसरे नंबर जेडीएस रही जिसके चंदे में 596 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि, शीर्ष पांच पार्टियों में केवल शिवसेना के चंदे में भारी गिरावट देखने को मिली है। । इसमें शिवसेना का चंदा वित्त वर्ष 2016-17 में 70 फीसदी तक यानी वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में 61.19 करोड़ रुपए कम हो गया है।
चंदे में 70 फीसदी कमी आने के बाद भी शिवसेना वित्त वर्ष 2016-17 में सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली क्षेत्रीय पार्टी बनी है। उद्धव ठाकरे की पार्टी को 297 चंदों से 25.65 करोड़ रुपए मिले हैं, वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी वित्त वर्ष 2016-17 में सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली दूसरी पार्टी बनी है। आप को 3865 चंदों से 24.73 करोड़ रुपए मिले हैं। तीसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) है, पार्टी को 15.45 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। कुल चंदे का 72 फीसदी यानी 65.83 करोड़ रुपए शीर्ष तीन पार्टियों को मिला है।