शोपियां फायरिंग: मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने शोपियां फायरिंग मामले में सेना को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। कोर्ट ने मेजर आदित्य के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। इसके बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में हिंसक प्रदर्शनकारियों ने सेना के एक वाहन को घेर लिया था। अधिकारियों द्वारा समझाने के बावजूद प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू थे। इस घटना में जूनियर कमीशंड अफसर के बुरी तरह घायल होने पर जवानों ने फायरिंग शुरू कर दी थी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य घायल हुए थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना की गढ़वाल राइफल यूनिट और मेजर आदित्य के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली थी। मेजर के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। कोर्ट का यह फैसला इसी याचिका पर आया है।
लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि एफआईआर से जवानों के मनोबल को धक्का लगेगा। मेजर आदित्य के पिता ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन ने जिस तरह से एफआईआर को पेश किया है, वह अत्यधिक शत्रुतापूर्ण माहौल को दिखाता है। इन परिस्थितियों में संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मिले मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए अदालत की शरण में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।’ मालूम हो कि इस मामले में सेना शुरुआत से ही अपने जवानों का समर्थन कर रही है। सेना पहले भी कह चुकी है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा उकसावे की कार्रवाई करने के बाद जवानों को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ी थीं। सेना द्वारा फायरिंग की इस घटना के खिलाफ घाटी के कई इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। मेजर आदित्य कुमार 27 जनवरी को यूनिट के अन्य जवानों के साथ शोपियां जिले के गानोवपोरा गांव से गुजर रहे थे। उसी वक्त उनका सामना हिंसक प्रदर्शनाकारियों से हो गया था। जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले पर जम्मू-कश्मीर में सहयोगी पार्टी पीडीपी और भाजपा में टकराव तक की नौबत आ गई थी।