शौहर ने दिया तीन तलाक, सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद बीवी पहुंची थाने

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार में तीन तलाक देने को असंवैधानिक घोषित किए जान के एक हफ्ते के अंदर ही एक 27 वर्षीय महिला उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर पुलिस के पास इस बात की शिकायत लेकर पहुंची कि उसके पति ने 17 अगस्त को उसे तीन तलाक दे दिया। पुलिस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद जिले में सामने आया ये तीन तलाक से जुड़े विवाद का पहला मामला है। दादरी के कांशी राम कॉलोनी की रहने वाली महिला ने गौतम बुद्ध नगर एसएसपी लव कुमार से सोमवार (28 अगस्त) को मिली और बताया कि उसके पति ने उसे “एक बार में तीन तलाक” दे दिया। लव कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में खबर की पुष्टि करते हुए कहा, “हमें शिकायत मिली है। खास बात ये है कि ये तलाक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले दिया गया है।” सूत्रों के अनुसार पुलिस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आलोक में इस मामले पर कानून विशेषज्ञों से राय ले रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सुनाए गए फैसले में एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैर-कानूनी घोषित किया था।

सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की पीठ ने 3-2 से तीन तलाक के खिलाफ फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को  असंवैधानिक करार छह महीने के अंदर तीन तलाक से जुड़ा कानून बनाना होगा। पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर कर रहे थे। उनके अलावा पीठ में  न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। मीडिया ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया की तीन तलाक पर फैसला करने वाले पाँचो जज अलग-अलग पाँच धर्मों के हैं। सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि वह संभवत: बहुविवाह के मुद्दे पर विचार नहीं करेगी और कहा कि वह केवल इस विषय पर गौर करेगी कि तीन तलाक मुस्लिमों द्वारा ‘‘लागू किये जाने लायक’’ धर्म के मौलिक अधिकार का हिस्सा है या नहीं। पीठ ने तीन तलाक की परंपरा को चुनौती देने वाली मुस्लिम महिलाओं की अलग अलग पांच याचिकाओं सहित सात याचिकाओं पर सुनवाई की थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि तीन तलाक की परंपरा असंवैधानिक है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी राय मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा भी था कि अगर कोर्ट इस व्यवस्था को खत्म करेगा तो सरकार इसके लिए कोई नई व्यवस्था लाएगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य इस एक बार में तीन तलाक को रद्द किए जाने का विरोध कर रहे थे। इन संगठनों का तर्क था कि ये इस्लाम का अंदरूनी मामला है और इसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए।

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