श्री अकाल तख्त पर पांच सिंह साहिबान की बैठक आज, सुखबीर सिंह बादल को सुनाएंगे धार्मिक सजा

अमृतसर में सिख पंथ के पांच प्रमुख धर्मगुरुओं(सिंह साहिबानों) की महत्वपूर्ण ‘पंथिक मुद्दों’ पर चर्चा के लिए होने वाली बैठक से पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को बृहस्पतिवार को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया.

अमृतसर में सिख पंथ के पांच प्रमुख धर्मगुरुओं (सिंह साहिबानों) द्वारा आज सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा सुनाई जा सकती है. श्री अकाल तख्त साहिब पर आज एक प्रमुख बैठक है. अकाली दल पर सरकार के दौरान धार्मिक गड़बड़ियों का आरोप है. अकाल तख्‍त के फैसले से ठीक पहले सुखबीर ने गुरुवार शाम बलविंदर भूंदड़ को पार्टी का कार्यकारी प्रधान बना दिया.      

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को बृहस्पतिवार को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. यह कदम अमृतसर में सिख पंथ के पांच प्रमुख धर्मगुरुओं(सिंह साहिबानों) की महत्वपूर्ण ‘पंथिक मुद्दों’ पर चर्चा के लिए होने वाली बैठक से एक दिन पहले उठाया गया है. सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने छह अगस्त को जारी एक बयान में घोषणा की कि सिंह साहिबानों (प्रमुख धर्मगुरुओं) की बैठक 30 अगस्त को होगी. इसका नेतृत्व अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह करेंगे.

शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है.”

सिख धर्म में पांच सिंह साहिबान एक महत्वपूर्ण संदर्भ है. ये वे पांच युवा सिख थे जिन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के आदेश पर मुगल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इन पांचों को उनके बलिदान और साहस के लिए सिख इतिहास में अत्यंत सम्मान दिया जाता है.

क्‍या है पूरा मामला 

ये मामला लगभग 25 साल पुराना है. जब खालसा पंथ के 300 साल पूरे होने का जश्‍न मनाया जा रहा था, तब जत्‍थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा ने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री व पार्टी प्रधान प्रकाश सिंह बादल को एक सुझाव दिया था.  लेकिन बादल ने न सिर्फ तब इस सुझाव को खारिज कर दिया था, बल्कि उन्‍हें पार्टी से निष्‍कासित भी कर दिया था. इसके बाद अकाली दल में काफी उथल-पुथल मच गई थी. टोहड़ा ने इसके बाद अपनी पार्टी बना ली थी.