संघर्ष व विरोध प्रदर्शन की राजनीति अब पहले जितनी प्रासंगिक नहीं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि अति पिछड़े जिलों के विकास के लिए काम करना सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा और संघर्ष व विरोध प्रदर्शन की ‘राजनीति’ अब पहले जितनी प्रसांगिक नहीं रह गई है। संसद के केंद्रीय कक्ष में ‘विकास के लिए हम’ विषय पर आयोजित सांसदों व विधायकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने सर्वांगीण विकास के संदर्भ में सामाजिक न्याय की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र किया और खासतौर पर देश के 115 से ज्यादा अल्प-विकसित जिलों की प्रगति के लिए मिलकर काम पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने उपस्थिति सांसदों, विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब सभी बच्चे स्कूल जाने लगेंगे और सभी परिवारों को बिजली मिलने लगेगी, तब यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम होगा।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बताया कि विकास के विषय पर देशभर के जनप्रतिनिधियों में संवाद, चर्चा, जागरूकता और परस्पर अनुभवों को साझा करने के उद्देश्य से लोकसभा सचिवालय की ओर से दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका समापन रविवार को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे। सांसदों और राज्यों से आए विधायकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वक्त था जब विरोध प्रदर्शन और संघर्ष से युक्त हार्डकोर राजनीति काम करती थी। अब वक्त बदल गया है। आप सत्ता में हों या विपक्ष में, मतलब सिर्फ इस बात से है कि आप लोगों की मदद को आगे आते हैं या नहीं। प्रधानमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि आपने कितने विरोध किए, आपने कितने मोर्चे निकालें और कितनी बार आप जेल गए। संभवत: 20 साल पहले आपके राजनीतिक करियर में मायने रखता होगा, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने क्षेत्र के विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र से बार-बार चुने जाने वाले जन-प्रतिनिधि वही हैं जिनकी अपने क्षेत्र में राजनीति से इतर भी कोई पहचान है। मोदी ने कहा कि चर्चा हमेशा सामाजिक स्थितियों को लेकर होती है लेकिन इसके विविध आयाम हैं। अगर किसी घर या एक गांव में बिजली है, लेकिन दूसरों में नहीं है, तब सामाजिक न्याय का तकाजा है कि उन्हें भी बिजली मिलनी चाहिए। संविधान तैयार करने के लिए जवाहर लाल नेहरू, भीमराव आंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं को संसद के केंद्रीय कक्ष में याद करते हुए मोदी ने शनिवार को यहां सांसदों और विधायकों की मौजूदगी को तीर्थयात्रा से जोड़ते हुए विकास की बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सांसद और विभिन्न दलों के विधायक विकास के मुद्दे पर आज यहां साथ बैठे हुए हैं और यह संघवाद का जीता-जागता उदाहरण है। सरकार की आदत जल्दी परिणाम देने वाले उपायों पर ध्यान देने की है, जिसके परिणामस्वरूप विकसित जिले और बेहतर परिणाम देने लगते हैं जबकि पिछड़े हुए जिले और पिछड़ जाते हैं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इन 115 जिलों की पहचान ‘अभिलाषी’ जिलों के रूप में की है, पिछड़ों के तौर पर नहीं। क्योंकि पिछड़े शब्द के साथ नकारात्मक भाव जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हमें पिछड़ों की प्रतियोगिता करवानी है, अगड़ों की नहीं।’ राज्य कैडर से प्रमोशन पाकर केंद्रीय सेवा में आए अधिकारियों के स्थान पर नवनियुक्त आइएएस अधिकारियों का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन जिलों में कुछ करने गुजरने की इच्छा रखने वाले युवा अधिकारियों को जिलाधिकारी बनाकर भेजा जाए।

मोदी ने कहा कि किसी जिलाधिकारी की औसत आयु सामान्य तौर पर 27-30 वर्ष होती है लेकिन इन 115 जिलों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से 80 फीसद से ज्यादा की आयु 40 वर्ष से ऊपर थी। ज्यादा आयु वर्ग के अधिकारियों की और चिंताएं होती हैं, जैसे परिवार और करियर, और इन जिलों को ऐसी जगहों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, जहां ऐसे लोगों की ही नियुक्ति की जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन जिलों के विकास के लिए काम करना हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा तय सामाजिक न्याय का एक हिस्सा होगा और इसकी आशंका बहुत कम हैं कि इसे लेकर कोई मतभेद हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *