संजय गांधी की पुण्यतिथि: जब सूचना प्रसारण मंत्री ने लगाई थी संजय को फटकार- बात करनी है तो विनम्र होना पड़ेगा
आज (23 जून) कांग्रेस नेता संजय गांधी की पुण्यतिथि है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को हिन्दुस्तान में वो राजनीतिक छवि मिली जो विवादों में रही। उनके आलोचक उन्हें तानाशाह, बेसब्र बताते हैं, तो समर्थक मैन ऑफ एक्शन, विजनरी और वर्कोहलिक कहते हैं। आपातकाल के दौरान उनका रोल जबर्दस्त विवादों में रहा। बिना किसी पद पर रहते हुए उनपर विपक्ष को कुचलने और फैमिली प्लानिंग कार्यक्रम को जबरन लागू कराने का आरोप लगा। 23 जून 1980 को दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई। दिल्ली फ्लाइंग क्लब के मेंबर 33 साल के संजय गांधी एक नया एयरक्राफ्ट उड़ा रहे थे, इसी दौरान विमान से उनका कंट्रोल खत्म हो गया और हादसे में उनकी मौत हो गई। इस दौरान उनके साथ एक मात्र पैसेंजर रहे कैप्टन सुभाष सक्सेना भी इस हादसे में मारे गये। लिहाजा अंदर क्या हुआ था ये राज बनकर ही रह गया।
संजय गांधी की छोटी सी जिंदगी बड़े घटनाक्रमों से भरी रही। जब 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया, कहा जाता है उस वक्त एक तरह से हिन्दुस्तान की कमान संजय गांधी के हाथ में थी। सितंबर 1976 में संजय गांधी ने नसबंदी कार्यक्रम चलाया। भारत की जनसंख्या पर काबू करने के लिए युवा संजय का ये तरीका सुर्खियों में रहा और इसकी खूब आलोचना हुई। कहा जाता था कि टारगेट पूरा करने के लिए लोगों को जबरन पकड़कर नसबंदी कर दी जाती थी। इस कार्यक्रम के लिए कांग्रेस की खूब किरकिरी हई।
संजय गांधी पर आपातकाल के दौरान विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारी के आदेश देने और उनके आंदोलनों को कुचलने के भी आरोप लगे। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब संजय गांधी को लगा कि तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री इंद्र कुमार गुजराल उनका कहना नहीं मानेंगे तो उन्हें पद से हटा दिया गया। बीबीसी की इस रिपोर्ट में जग्गा कपूर की किताब ‘वाट प्राइस पर्जरी: फैक्ट्स ऑफ शाह कमीशन’ का हवाला दिया गया है। किताब में जग्गा कपूर लिखते हैं, “संजय ने गुजराल को हुक्म दिया कि अब से प्रसारण से पहले सारे समाचार बुलेटिन उन्हें दिखाए जाएं, गुजराल ने कहा- ये संभव नहीं है, इंदिरा दरवाजे के पास खड़ी संजय और गुजरात की बातचीत सुन रही थीं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, अगली सुबह जब इंदिरा मौजूद नही थीं, संजय ने गुजराल के मुंह पर कहा कि आप अपना मंत्रालय ढंग से नहीं चला रहे हैं, गुजराल का जवाब था- अगर तुम्हें मुझसे कोई बात करनी है तो सभ्य और विनम्र होना होगा, मेरा प्रधानमंत्री का साथ तब का है, जब तुम पैदा भी नहीं हुए थे, तुम्हें मेरे मंत्रालय में टांग अड़ाने को कोई हक नहीं है।”
कहा जाता है कि संजय गांधी गुजरात को सूचना प्रसारण मंत्रालय से बाहर देखना चाहते थे। इसके लिए बीबीसी के तत्कालीन ब्यूरो चीफ मार्ट टली की गिरफ्तारी का दांव खेला गया। संजय के खास मोहम्मद यूनुस ने गुजराल को फोन कर मार्क टली को गिरफ्तार करने को कहा। आरोप लगाया कि उन्होंने कुछ नेताओं की झूठी गिरफ्तारी की खबर चलाई थी। इस पर गुजराल ने कहा कि एक विदेश पत्रकार को गिरफ्तार करवाना सूचना प्रसारण मंत्रालय का काम नहीं है। इंद्र कुमार गुजराल ने अपने सूत्रों से जांच कर इंदिरा को बताया कि बीबीसी ने नेताओं की गिरफ्तारी से जुड़ी कोई भी झूठी खबर नहीं चलाई है। लेकिन उसी शाम को इंदिरा ने फोन कर गुजराल को ये सूचित किया कि वे उनसे सूचना प्रसारण मंत्रालय वापस ले रही हैं। इंदिरा ने तर्क दिया कि वर्तमान परिस्थितियों में इस मंत्रालय को सख्ती से चलाये जाने की जरूरत है। इसके बाद गुजराल से सूचना प्रसारण मंत्रालय ले लिया गया। कांग्रेस ने आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उन्हें दूरदर्शी और गरीबों का नेता बताया है। कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा है कि संजय गांधी ने भारत के मध्य वर्ग के लिए कार के सपने को साकार किया।