संन्यास लेने के बाद इन खिलाड़ियों ने दी विदेशी टीम को कोचिंग और पहुंचा दिया फर्श से अर्श पर
कहा जाता है कि महान खिलाड़ी हमेशा महान कोच नहीं हो सकते। क्रिकेट कोचिंग के मद्देनजर उन्हें खुद को साबित करके दिखाना होता है। लेकिन यहां कई अपवाद भी हैं। अपने जमाने में कई क्रिकेट कोच शानदार खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन बहुत कम ने ही कोचिंग में नाम कमाया। आज हम आपको बता रहे हैं उन क्रिकेट कोच के बारे में, जिन्होंने विदेशी टीम को कोचिंग दी।
डीन जोन्स: जब 1980 में अॉस्ट्रेलिया शानदार दौर से गुजर रहा था तो डीन जोन्स भी एक चमकते सितारे और दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक थे। रिटायरमेंट के बाद जोन्स ने कॉमेंटेटर के तौर पर भी काम किया। लेकिन साल 2016 में वह पाकिस्तान सुपर लीग में इस्लामाबाद यूनाइटेड के कोच बन गए। उनकी देखरेख में टीम इस टूर्नामेंट की चैम्पियन बनकर उभरी। इस महीने की शुरुआत में जोन्स को अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का अस्थायी कोच बनाया गया है।
इंजमाम-उल-हक: पाकिस्तान के दिग्गज खिलाड़ी इंजमाम 2013 में पाकिस्तान टीम के बैटिंग कोच रह चुके हैं। साल 2015 में उन्हीं की कोचिंग में टीम ने जिम्बाब्वे दौरे पर शानदार क्रिकेट खेली थी। अफगानिस्तान ने वनडे और टी20 सीरीज में जीत हासिल की थी और बतौर कोच इंजमाम की यह सबसे बड़ी कामयाबी है। वह वर्ल्ड टी20 कैप्टन में भी टीम के इंचार्ज थे और उन्होंने टीम को सुपर 10 में पहुंचाया था। इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान ने वेस्ट इंडीज को मात दी थी।
कर्टनी वॉल्श: यह दिलचस्प बात है कि अपने जमाने के धाकड़ गेंदबाज होते हुए भी वॉल्श को कोचिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं था और बांग्लादेश की टीम के साथ जुड़ना एक साहसिक फैसला था। उनकी देखरेख में बांग्लादेश ने इंग्लैंड और अॉस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच में मात दी है। उनका कॉन्ट्रैक्ट साल 2019 तक है।
एंडी फ्लॉवर: 2003 में उनका क्रिकेट करियर देश के राष्ट्रपति के खिलाफ आवाज उठाने के कारण खत्म हो गया था। इसके बाद एंडी कोचिंग में आ गए। इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेल चुके एंडी को पहले इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम का असिस्टेंट कोच बनाया गया, फिर दो साल बाद वह हेड कोच बन गए। उनकी कोचिंग में इंग्लैंड ने तीन एशेज सीरीज, 2010 का टी20 विश्व कप और नंबर एक टेस्ट टीम का दर्जा पाया था।
गैरी कस्टर्न: 2007 विश्व कप में बुरी तरह मात मिलने के बाद ग्रेग चैपल का कार्यकाल खत्म हो गया और द.अफ्रीका के गैरी कस्टर्न को कोच बनाया गया। उनके समय में भारत का रिकॉर्ड हर प्रारूप में सुधरा। उन्होंने पूर्व कप्तान एमएस धोनी की तारीफ की और भारत की नंबर 1 टेस्ट टीम बनने में मदद की। 28 साल के इंतजार के बाद भारत ने उन्हीं की कोचिंग में 2011 का विश्व कप जीता था।