संयुक्त राष्ट्र ने उ. कोरिया पर लगाए और कड़े प्रतिबंध
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है। इसमें उसके परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए तेल आयात और तेल निर्यात पर पाबंदी भी शामिल है। तीन सितंबर को उत्तर कोरिया द्वारा छठे और सबसे बड़े परमाणु परीक्षण के जवाब में यह कदम उठाया गया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा, ‘आज, हम दुनिया को यह बता रहे हैं कि हम कभी भी परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया को स्वीकार नहीं करेंगे। आज, सुरक्षा परिषद का कहना है कि अगर उत्तर कोरिया शासन ने अपना परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं किया, तो हम उसे रोकने के लिए खुद कदम उठाएंगे।’ इस प्रस्ताव को 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से सोमवार को मंजूरी दे दी।
भारतवंशी राजनयिक ने कहा, ‘हमने कोशिश की कि शासन सही काम करे। अब हम गलत कार्य करते रहने की क्षमता हासिल करने से उसे रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रमों को ईंधन और धन मुहैया करवाने वाले साधनों को निशाना बना रहा है।अमेरिका ने उत्तर कोरिया द्वारा तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध सहित कई कठोर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, उत्तर कोरिया के सहयोगी रूस और चीन के प्रावधान को घटाने पर सहमति के बाद ही सर्वसम्मति से प्रस्ताव को पारित किया गया। अमेरिकी राजदूत ने जिक्र कियाकि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार बनाने और वितरित करने में तेल की मुख्य भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के तहत गैस, डीजल और भारी ईंधन तेल में 55 फीसद तक कटौती करने से उत्तर कोरिया को मिलने वाले तेल में 30 फीसद तक की कमी आएगी। उन्होंने कहा, ‘आज का प्रस्ताव प्राकृतिक गैस और तेल के अन्य सह-उत्पादों पर पूरी तरह रोक लगाता है, जिनका इस्तेमाल पेट्रोल घटने की स्थिति में विकल्प के तौर पर किया जा सकता है। इससे गहरा प्रभाव पड़ेगा।’ हेली ने कहा कि उत्तर कोरिया पर लगाया गया यह अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध हैं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने सरकार को अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को पोषित करने की क्षमता को रोकने के लिए बहुत अवसर दिए। लेकिन हम सब जानते हैं कि ये सभी उपाय तभी काम कर पाएंगे जब सारे देश इसे पूरी तरह और मजबूती से लागू करेंगे।’