संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महिलाओं की व्यापक भूमिका हो: सेना उपप्रमुख

सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में महिलाओं के व्यापक प्रतिनिधित्व पर बल दिया और कहा कि उनकी भागीदारी को बस सहयोगात्मक भूमिकाओं तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने इस साल के आखिर तक इन मिशनों में महिलाओं की दृष्टि से भारत का योगदान बढ़ने की उम्मीद जताई। यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेना उपप्रमुख ने संघर्ष के समय उस इलाके में होने वाली यौन हिंसा (सीआरएसवी) को ‘सबसे निकृष्ट यंत्रणा’ करार दिया और कहा कि शांतिमिशनों में महिलाओं की भागीदारी को बस सहयोगात्मक भूमिकाओं तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘संघर्ष रोकथाम के क्षेत्रों में महिलाओं की व्यापक भागीदारी खासकर स्थाई शांति व सुरक्षा के लिए जरूरी है और महिलाओं को मुख्य धारा में रखना ही सीआरएसवी को खत्म करने का एक उपाय है।’ वह दिल्ली के थिंक टैंक यूएसआई (यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन आॅफ इंडिया) और यूएन वूमेन द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित ‘संघर्ष संबंधी यौन हिंसा को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में महिलाओं को मुख्य धारा में लाना’ विषय पर अपनी राय रख रहे थे।

चंद ने कहा, ‘पहले से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 और 1820 हैं। लेकिन इन प्रस्तावों के बावजूद कोई अधिक प्रगति नहीं हुई है। महिलाओं को आरंभ से लेकर वार्ता और प्राधिकार तक व उत्तर संघर्ष काल में भी अधिक सक्रिय भूमिका निभाना चाहिए।’

 

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