संविधान को खतरे में बताने वाले आर्कबिशप से मिलने जाएंगे बीजेपी नेता, यह है प्लान

गोवा बीजेपी के नेता क्रिश्चयन धर्मगुरु आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ से मुलाकात करने वाले हैं। बीजेपी नेताओं ने आर्कबिशप से मिलने के लिए समय मांगा है। गोवा के इन्हीं आर्कबिशप ने ईसाई समुदाय से कहा था कि वे राज्य की राजनीति सक्रिय रूप से भाग लें, क्योंकि संविधान खतरे में है। फिलिप नेरी फेर्राओ ने कहा था कि संविधान खतरे कई लोग असुरक्षा के माहौल में रह रहे हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत पार्टी के नेता आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ से मिलेंगे। पिछले दो महीनों में बीजेपी विधायकों को 30 ऐसे ‘प्रभावशाली’ लोगों की सूची दी गई है, जिनसे उन्हें केन्द्र सरकार की 4 साल की रिपोर्ट कार्ड के साथ मिलना है और अगले आम चुनाव में पार्टी के लिए समर्थन मांगना है। गोवा राज्य के बीजेपी प्रवक्ता प्रेमानंद म्हाम्बरे ने क्रिश्चयन धर्मगुरु से मुलाकात की योजना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि गुरुवार (7 जून) को बीजेपी नेताओं ने दक्षिण गोवा में स्थित कुंदियाम तपोभूमि आश्रम में स्वामी ब्रह्मानंद से भी मुलाकात की थी।

गोवा में जहां विधायकों को अपने क्षेत्र में लोगों के पास जाने की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य के धर्मगुरुओं से मुलाकात करेंगे। बता दें कि क्रिश्चयन धर्मगुरु आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ ने ईसाई समुदाय को लिखे गए एक पत्र में कहा था कि संविधान को ठीक से समझा जाना चाहिए, क्योंकि आम चुनाव करीब आ रहे हैं। आर्कबिशप ने यह भी कहा कि मानवाधिकारों पर हमले हो रहे हैं और लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है। उन्होंने ये पत्र एक जून से पादरी वर्ष (पैस्टोरल ईयर) की शुरुआत के मौके पर लिखा था और गोवा एवं दमन क्षेत्र के ईसाई समुदाय को संबोधित किया गया था। पादरी वर्ष एक जून से 31 मई तक होता है।

बीजेपी नेताओं और हिन्दूवादी संगठनों ने आर्कबिशप के इस पत्र की निंदा की थी। हालांकि इस पत्र की आलोचना के बाद आर्कबिशप के कार्यालय ने स्पष्टीकरण दिया और कहा कि पादरी फिलिप नेरी फेराओ अपने लोगों के समक्ष अपनी चिंता जाहिर कर रहे थे और उनका बयान किसी राजनैतिक दल या सरकार के खिलाफ नहीं है। फेरारो के सचिव फ्रांसिस जोकिम लोइला परेरा ने कहा कि लोगों को समूचे 15 पन्ने का पत्र पढ़ना चाहिये और ‘‘इस बयान या उस बयान को संदर्भ से परे नहीं लिया जाना चाहिये और ऐसे नहीं पेश करना चाहिये कि जैसे यह पत्र राजनैतिक दलों के खिलाफ हो।’’

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