संसद में उठी पूरे देश में एनआरसी लागू करने की मांग, विपक्ष का भारी विरोध

लोकसभा में भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने मांग की कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। इसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया है। शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए दुबे ने कहा कि एनआरसी का मुद्दा पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। 1905 में बंगाल के विभाजन से पहले बिहार भी बंगाल का ही हिस्सा था। उन्होंने कहा कि पूर्वी बंगाल से पश्चिमी बंगाल में लगातार पलायन होता रहा। असम में गोपीनाथ बारदोलोई ने इस विषय पर आंदोलन भी चलाया था। असम में एक लाख एकड़ भूमि पर ऐसे लोगों को बसाया भी गया। भाजपा सदस्य ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर समेत कई क्षेत्रों में जनगणना नहीं हुई। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक खास समुदाय की जनसंख्या काफी बढ़ी है। इस बयान का विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया। दुबे ने मांग की कि असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी की तरह ही पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाना चाहिए।

बता दें कि लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने असम में एनआरसी का मुद्दा उठाया और सूची में काफी संख्या में वैध लोगों का नाम हटाए जाने का दावा करते हुए गृह मंत्री से असम का दौरा करने की मांग की। शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए सौगत राय ने कहा कि असम में एनआरसी का विषय काफी महत्वपूर्ण है। जो सूची जारी की गई है, उसमें 40 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें हिन्दू बंगाली लोग शामिल हैं। बिहार सहित कुछ और स्थानों के लोग भी हैं। इसमें पिछड़े वर्ग से संबंधित मतुआ समुदाय के काफी संख्या में लोगों के नाम हटाए गए हैं।

सौगत राय ने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) ने कहा कि इससे गृह युद्ध और खूनखराबे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस पर गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू को अपने स्थान से कुछ कहते देखा गया लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा सकी। खबरों के अनुसार, ममता बनर्जी ने एनआरसी के मुद्दे पर गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने की बात कही थी हालांकि बाद में इससे इंकार किया था। बहरहाल, सौगत राय ने कहा कि उनकी पार्टी के चार सांसद असम गए हैं और गृह मंत्री को भी असम जाना चाहिए।

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