सक्रिय होंगी शीला दीक्षित, मुख्यमंत्री केजरीवाल पर बरसीं और कहा, सभी मोर्चों पर विफल सरकार
अजय पांडेय
दिल्ली में डेढ़ दशक तक बेखटके कांग्रेसी हुकूमत चलाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल किए जाने को लेकर सूबे के उनके समर्थकों में गर्मजोशी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से हाशिए पर रहीं दीक्षित दिल्ली की अकेली नेता हैं जिन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी नई टीम में जगह दी है। नई जिम्मेदारी मिलने से प्रसन्न दीक्षित एक बार फिर से दिल्ली में सक्रिय होने के मूड में हैं। यह दीगर बात है कि अस्सी पार पहुंच चुकी पूर्व मुख्यमंत्री के लिए सूबे में तीसरे नंबर की पार्टी बन चुकी कांग्रेस में नई जान फूंकना यदि मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं है।
कांग्रेस कार्यसमिति की घोषणा के बाद से दीक्षित के निजामुद्दीन स्थित निवास पर दिल्ली के कांग्रेसियों का तांता लगातार लगा हुआ है। लंबे समय से गायब रहे समर्थक भी अब गुलदस्ता लेकर पहुंच रहे हैं। पार्टी द्वारा नई जिम्मेदारी दिए जाने पर संयत तरीके से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दीक्षित ने आने वाले दिनों में अपनी भूमिका को लेकर पूछने पर कहा कि आने वाले 15-20 दिनों में इसको लेकर स्थिति और साफ हो जाएगी। उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर यह कहकर हमला बोला कि दिल्ली में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। आम आदमी पार्टी (आप) हर मोर्चे पर नाकाम हो रही है। उन्होंने कहा कि बिजली-पानी का जो मुद्दा इस सरकार के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण था, उनको लेकर भी संजीदगी नहीं है। गर्मियों में बिजली की खूब कटौती हो रही है। पानी की किल्लत की शिकायत शहर के हर हिस्से में हो रही है। मुस्लिम बुद्धिजीवियों संग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बैठक और उसके बाद भाजपा नेताओं द्वारा कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताए जाने पर दीक्षित ने कहा कि सच्ची बात तो यही है कि कांग्रेस सबकी पार्टी है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस का देश के जन जन से और खास तौर पर यहां के गरीबों और शोषितों से नाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों को भले यह बात अजीब लगती हो लेकिन कांग्रेस के नेता हर वर्ग, जाति, धर्म के लोगों से पहले भी मिलते थे और आज भी मिलते हैं। हमारे लिए सभी एक हैं, हिंदुस्तानी हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पिछले चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को प्रदेश में अपने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। लेकिन इसके पहले कि चुनाव प्रचार जोर पकड़ता कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठजोड़ हो गया और उसके बाद से दीक्षित की पार्टी में भूमिका नहीं के बराबर रही। पिछले दिनों अचानक ही दिल्ली के कांग्रेसी मुखिया और दिल्ली की कांग्रेसी सियासत में दीक्षित के विरोधी माने जाने वाले अजय माकन दीक्षित के घर गए और उसके बाद से दोनों नेता कई मौकों पर एक साथ नजर आए हैं जिसका सीधा सा मतलब यह है कि दिल्ली में कांग्रेस दीक्षित की मौजूदगी का फायदा उठाना चाहती है।