‘सब कुछ बदल रहा है, बस सोच नहीं बदल रही’

‘आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि कितना बड़ा काम किया है इस किताब ने। इसने मुझे पूरी तरह से झकझोर दिया है। और, यह आपकी वजह से संभव हो सका है। एक अनुवादक निर्माता होता है। सोच, संस्कृति और संघर्ष का ध्वजवाहक होता है। वह भाषा के बंधनों को तोड़ता है। जो बात हमें किसी अन्य की भाषा में समझ नहीं आ रही उसे अनुवादक आपकी भाषा में अनूदित करता है’। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने शनिवार को राजेंद्र प्रसाद एकेडमी में लाल सिंह दिल की चुनिंदा कविताओं की किताब के लोकार्पण समारोह में ये बातें कहीं। किताब का अनुवाद टीसी घई ने किया है।

मीरा कुमार ने कहा कि एक लेखक या कवि जो लिखता है वह उसे महसूस भी करता है। हर महान व्यक्ति बहुत संघर्ष झेलकर आगे बढ़े हैं। उन्होंने जो झेला है उसे अपने लेखन में शामिल किया है। उनके लेखन से उनका संघर्ष दिखता है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में जितना नस्लभेद है उतना कहीं और नहीं है। नीची जाति या ऊंची जाति कहना छोड़ दीजिए या इसका उलटा कर दीजिए।

उन्होंने वर्तमान जातीय भेदभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सब कुछ बदल रहा है। तकनीक हमें एक अन्य स्तर तक ले आई है, लेकिन हमारे दिमाग नहीं बदले। लोग कहते हैं विकास हो रहा है, बढ़िया सड़कें, मॉल्स आदि बन रहे हैं, लेकिन उन पर जो चलते हैं या मॉल में जो जाते हैं उनकी सोच तो वही है। आंबेडकर आज भी दलित आइकॉन ही बनकर रह गए हैं बजाए इसके कि उन्होंने खुद को बुद्ध धर्म में परिवर्तित कर लिया था। उन्होंने कहा कि किस हिंदू के लिए हिंदू रास्ता बनेगा जिसके लिए हिंदू मंदिर का दरवाजा खुला है या जिसके लिए बंद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *