समान नागरिक संहिता: विधि आयोग ने सुझाव दिए, व्यापक रिपोर्ट अभी नहीं
विधि आयोग ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन आज पर्सनल लॉ पर एक परामर्श पत्र जारी किया जो ‘बिना गलती’ के तलाक, भरण-पोषण और गुजारा भत्ता तथा विवाह के लिये सहमति की उम्र में अनिश्चितता और असमानता के नए आधारों पर चर्चा करता है। समान नागरिक संहिता पर पूर्ण रिपोर्ट देने की बजाए विधि आयोग ने परामर्श पत्र को तरजीह दी क्योंकि समग्र रिपोर्ट पेश करने के लिहाज से उसके पास समय का आभाव था। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान ने पूर्व में कहा था कि समान संहिता की अनुशंसा करने के बजाए, आयोग पर्सनल लॉ में ‘चरणबद्ध’ तरीके से बदलाव की अनुशंसा कर सकता है।
अब यह 22वें विधि आयोग पर निर्भर करेगा कि वह इस विवादित मुद्दे पर अंतिम रिपोर्ट लेकर आए। हाल में समान नागरिक संहिता के मुद्दे को लेकर काफी बहस हुई हैं।
विधि मंत्रालय ने 17 जून 2016 को आयोग से कहा था कि वह ‘‘समान नागरिक संहिता के मामले को देखे।’’ परामर्श पत्र में कहा गया, ‘‘समान नागरिक संहिता का मुद्दा व्यापक है और उसके संभावित नतीजे अभी भारत में परखे नहीं गए हैं। इसलिये दो वर्षों के दौरान किए गए विस्तृत शोध और तमाम परिचर्चाओं के बाद आयोग ने भारत में पारिवारिक कानून में सुधार को लेकर यह परामर्श पत्र प्रस्तुत किया है।’’