सरकार के फैसले के विरोध में एक और मंत्री, कहा- पीएम से करूंगा बात
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी के बाद अब केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून पर फैसला सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष पद से तत्काल हटाए जाने की मांग की है। अठावले ने एक बयान जारी कर यह भी कहा कि गोयल की नियुक्ति के मामले को वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति गोयल की नियुक्ति से देश के दलित समाज में नाराजगी है। केन्द्र सरकार को उन्हे इस पद से तत्काल हटा देना चाहिए।’’ आरपीआई नेता ने यह भी कहा कि गोयल की नियुक्ति का कई दलित सांसद भी विरोध कर चुके हैं ।
बता दें कि इससे पहले रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) कह चुकी है कि भाजपा को समर्थन मुद्दों पर आधारित है साथ ही पार्टी ने दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ कानून में सख्त प्रावधान करने तथा नौ अगस्त तक एनजीटी के अध्यक्ष ए के गोयल को पद से हटाने की मांग की है। पार्टी सांसद और रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के भीतर कई लोगों का संयम अब कमजोर हो रहा है क्योंकि दलितों एवं आदिवासियों को लेकर चिंताएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साल 2014 में भाजपा और लोजपा के बीच गठजोड़ के मूल में इन समुदायों के हितों की रक्षा करने का विषय था ।
चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग पिछले चार महीने से कर रही है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने हालांकि भाजपा को सीधे कोई धमकी देने से बचते हुए कहा कि लोजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में पूरा विश्वास है क्योंकि उनकी सरकार ने दलितों के लिये काफी कुछ किया है। यह पूछे जाने पर कि अगर 9 अगस्त तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तब क्या उनकी पार्टी भाजपा नीत राजग से अलग होने पर विचार करेगी, लोजपा नेता ने कहा कि जब समय आयेगा तब हम कदम उठायेंगे।
उल्लेखनीय है कि कानून को मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग को लेकर कई दलित संगठनों एवं आदिवासी समूहों ने 10 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। गोयल उच्चतम न्यायालय के उन दो न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के संबंध में आदेश दिया था। सेवानिवृति के बाद गोयल को राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।