सरकार द्वारा वृद्धावस्था और शारीरिक अक्षमता पेंशन सुधार के खिलाफ प्रदर्शनों में हुई 10 लोगों की मौत

पेंशन प्रणाली में बदलावों के खिलाफ पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच निकारागुआ में तीन दिनों के दौरान हुई हिंसक झड़पों में 10 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। बीबीसी के मुताबिक, यह संकट सैंडिनिस्टा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (एफएसएलएन) सरकार के उस फैसले के खिलाफ उत्पन्न हुआ है, जिसमें सुधार के माध्यम से वृद्धावस्था और शारीरिक अक्षमता पेंशन में पांच प्रतिशत कर और कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के अंशदान में वृद्धि करने के प्रावधान किए गए हैं।
हिंसा की शुरुआत बुधवार को उस समय हुई, जब पेंशनभोगी राजधानी की सड़कों पर उतर आए और अगले दिन उनके विरोध प्रदर्शन में हजारों छात्र और कर्मचारी भी शामिल हो गए। अब तक करीब 100 लोग घायल हुए हैं।

मृतकों में दो प्रदर्शनकारी और एक पुलिसकर्मी शामिल है, जो शुक्रवार को मनागुआ में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने पर मारे गए। कई शहरों में रात भर अशांति का माहौल रहा।
उपराष्ट्रपति रोसारियो मुरिलो ने इन विरोध प्रदर्शनों की तुलना ऐसे पिशाचों से की है, जिन्हें अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए खून पीने की जरूरत है, लेकिन कहा कि उनकी सरकार बातचीत के लिए तैयार है। सैंडिनिस्टा सरकार ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक इमारतों को आग के हवाले कर दिया है।

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सरकार समर्थकों पर हिंसा शुरू करने का आरोप लगाया। स्वतंत्र टीवी स्टेशनों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का सीधा प्रसारण करने के बाद उनके प्रसारण को ऑफ-एयर कर दिया गया। व्यवसायियों और विशेषज्ञों ने इसे निकारागुअन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सिक्युरिटी (एनआईएसएस) को दिवालिया होने से बचाने के लिए चली गई चाल बताते हुए इसे खारिज कर दिया है।

उन लोगों को इस बात का भी डर है कि ये सुधार बेरोजगारी, कम खपत और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकते हैं और कारोबार को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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