सरकार संसद के इसी सत्र में पेश कर सकती है वन नेशन वन इलेक्शन बिल, समझिए कितना बदल जाएगा भारत का चुनाव
एक देश, एक चुनाव’ मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में भी BJP ने इसका जिक्र किया था. BJP ने वादा किया था कि कोविंद कमिटी की सिफारिशों को लागू करने पर काम किया जाएगा.
केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र या बजट सत्र के दौरान ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) विधेयक पेश कर सकती है. इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जा सकता है. एक देश, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. सरकार चाहती है कि इस बिल पर आम सहमति बने. इसलिए सभी स्टैक होल्डरों से चर्चा की जानी चाहिए. इसलिए JPC वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लेकर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी. सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर आम सहमति बन जाएगी.
‘एक देश, एक चुनाव’ मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी एक देश एक चुनाव का वादा किया था. मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) प्रस्ताव को 18 सितंबर को मंजूरी दे दी थी.
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सरकार और विपक्ष के क्या हैं तर्क?
सरकार पिछले कुछ समय से एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है. सरकार का तर्क है कि मौजूदा इलेक्शन सिस्टम समय, पैसे और वर्कफोर्स को बर्बाद कर रही है. चुनाव से पहले घोषित आदर्श आचार संहिता से विकास के कामों में ब्रेक लग जाता है. एक साथ चुनाव कराने से समय पैसे और वर्कफोर्स की बचत होगी. विकास के काम बिना रुकावट के पूरे किए जा सकेंगे.
जबकि, विपक्ष ने सरकार के इन तर्कों को अव्यावहारिक बताया है. विपक्षी दलों ने राज्य में चुनाव कराने में चुनाव आयोग के सामने आने वाली तार्किक चुनौतियों की ओर इशारा किया है.
2 सितंबर 2023 को हुआ था कोविंद कमिटी का गठन
वन नेशन वन इलेक्शन का प्रोसेस तय करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी, इसमें 8 सदस्य थे. कोविंद कमिटी (Ramnath Kovind Committee) का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. कमिटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. कमिटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया है.
कोविंद कमिटी ने क्या दिए सुझाव?
-कोविंद कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए.
-पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. दूसरे फेज में 100 दिनों के अंदर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.
-हंग असेंबली, नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं.
-इलेक्शन कमीशन लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार कर सकता है.
-कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए डिवाइसों, मैन पावर और सिक्योरिटी फोर्स की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश भी की है.