सांसदों-विधायकों में तालमेल बिठाने में जुटे योगी आदित्यनाथ

लोकसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुट गए हैं। अब तक उन्होंने पार्टी के पचास से अधिक सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्र में हुए विकास कार्यों का सूरते-हाल जानने की कोशिश की है। साथ ही विधायकों और सांसदों के बीच कुछ स्थानों पर हुए विवाद के निपटारे में भी सरकार के मुखिया ने अहम किरदार अदा किया है। प्रदेश में पिछले कुछ महीनों के दरम्यान सांसदों और विधायकों के बीच कुछ स्थानों पर सार्वजनिक सभाओं में आपसी मनमुटाव खुलकर सामने आया था। इनमें लखीमपुर और बाराबंकी में सांसद और विधायक जनता और पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने ही आपस में भिड़ गये थे। ऐसे मामले प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसदों और विधायकों से बात कर आपसी खटास को दूर करने के लिए खुद पहल की। अब तक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ने पचास से अधिक सांसदों से पांच चक्रों में मुलाकात की है

सूत्रों का कहना है कि बातचीत के दरम्यान सांसदों ने कई स्थानों पर विधायकों की शिकायत मुख्यमंत्री से की जिसको गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने कई विधायकों को अपना आचरण सुधार लेने की चेतावनी तक दी है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दो विधायकों को गंभीर चेतावनी दी है। साथ ही एक वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में भााजपा के 71 सांसदों से उनके इलाके में अब तक हुए विकास कार्यों का पूरा ब्योरा भी तलब किया है ताकि समय रहते उत्तर प्रदेश से चुने गए 71 सांसदों के क्षेत्रों में अब तक हुए विकास कार्यों को गति प्रदान की जा सके। इसके अलावा प्रत्येक सांसद से उनके गोद लिए गावों का भी पूरा ब्योरा मुख्यमंत्री ने तलब किया है।

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान सांसदों के क्षेत्रों में विकास कार्यों की हुई उपेक्षा पर भी मुख्यमंत्री खासे संजीदा है। उन्होंने अब तक लंबित पड़े ऐसे कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर छह माह के भीतर निपटाने के निर्देश मुख्य सचिव समेत प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को दिए हैं। उत्तर प्रदेश के सांसदों और विधायकों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठकों पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर चुटकी लेते हैं। उनका कहना है, बीते दस महीनों में उत्तर प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह ठप हैं।
सरकार के पास विकास के काम बताने के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसे में विधायकों और सांसदों के बीच तकरार होना लाजिम है जिसे दूर करने के लिए काम की जगह बैठकों का सहारा लिया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मत कांग्रेस के पुराने सहयोगी समाजवादी पार्टी का भी है। सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, दस महीनों में उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर क्या हुआ? यह बता पाने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है।

विकास कार्यों के न होने की वजह से भाजपा के ही सांसदों और विधायकों के बीच रार उत्पन्न हो रही है, जिससे पार पाने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर पाठक कहते हैं, उत्तर प्रदेश में जितना विकास क्षेत्रीय दलों की पंद्रह सालों की सरकारों में नहीं हुआ, उतना सिर्फ दस महीनों में योगी सरकार ने कर दिखाया है। इनवेस्टर्स समिट में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश उत्तर प्रदेश में आने की संभावना है। यह आंकड़ा इस बात की ताकीद करने के लिए पर्याप्त है कि उत्तर प्रदेश को निवेशक अब किस अंदाज में देख रहे हैं। पाठक कहते हैं, सांसदों और विधायकों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री प्रदेश में विकास की जमीनी हकीकत को परखने के साथ ही वहां की जरूरतों के आधार पर उसे दूर करने के लिए बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों के सकारात्मक परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव में परिलक्षित होंगे।

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