सांसद ने कहा – बीजेपी मतलब ‘ब्रेक जनता प्रॉमिस’
आंध्र पदेश को विशेष रज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भजापा और TDP के बीच आई तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। NDA के पूर्व सहयोगी दल के नेताओं की ओर से बीजेपी की लगातार आलोचना की जा रही है। ताजा हमला TDP सांसद पंडुला रविंद्र बाबू की ओर से किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमलोग यहां किसी भी हालत में बीजेपी को संतुष्ट करने नहीं आए हैं। हमलोगों को पता चला है कि बीजेपी का मतलब ब्रेक जनता प्रॉमिस है।’ बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से अलग होने वाली TDP ने NDA से भी किनारा करने का फैसला कर लिया। आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी ने जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के साथ लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस भी दिया है। TDP ने शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव लाने का विरोध किया था, लेकिन वाईएसआर कांग्रेस के आक्रामक रवैये को देखते हुए TDP को अपना रुख बदलना पड़ा था। हालांकि, लोकसभा में भाजपा के प्रचंड बहुमत को देखते हुए प्रस्ताव का गिरना तय माना जा रहा है। इस बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने भी एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने की घोषणा की है। इसके जरिये विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने का भी प्रयास किया जाएगा, ताकि आगामी चुनावों में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी जा सके।
“We are not here to please BJP at all, we have come to know, BJP means, ‘Break Janta Promise’. – Pandula Ravindra Babu, TDP MP#Reactions #TDPPullsOut #TDPExitsNDA
Website: https://t.co/hpuub2tWNM pic.twitter.com/U1XswPHZTj
— GoNews (@GoNews24x7) March 16, 2018
आंध्र प्रदेश से तेलंगाना के अलग होने के बाद से ही राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है। आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू लगातार विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे थे। मोदी सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत चंद्रबाबू ने पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से अलग होने का फैसला किया था। हालांकि, इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद सीएम चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात कर सलाह-मशवरे से मामले को सुलझाने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने बहुत देर होने का हवाला देते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। केंद्र का कहना है कि वित्त आयोग की सिफारिशों के कारण पूर्वोत्तर और हिमालयन स्टेट के अलावा किसी अन्य राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दलों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। केंद्र विशेष आर्थिक पैकेज देने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन तल्खी कम नहीं हो सकी थी।