साक्षरता दर 16 से बढ़कर 74 फीसद हुई पर शिक्षा बनी बड़ी चुनौती

आजादी के 70 वर्ष बाद देश की आबादी साढ़े तीन गुणा बढ़ने के साथ साक्षरता दर 16 फीसद से बढ़कर 74 फीसद हो गई लेकिन गांव देहात से लेकर छोटे-बड़े शहरों में सरकारी स्कूलों व कालेजों में पढ़ाई की व्यवस्था चरमरा गई है। ‘शिक्षा’ से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार करने वाली सांसद डा. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली प्राक्कलन समिति ने इस विषय पर सुझाव आमंत्रित किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार संसद सदस्य डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता में बनी प्राक्कलन समिति (लोकसभा) ‘शिक्षा’ विषय की जांच कर रही है और अपनी राय लोकसभा को प्रस्तुत करेगी। समिति ने शिक्षा विषय के महत्व पर विचार करते हुए ‘शिक्षा’ विषय व उच्च शिक्षा के संदर्भ में व्यक्तियों या विशेषज्ञों या जनसाधारण या संस्थान या संगठन और हितधारकों और अन्य संबद्ध लोगों से विचार या सुझाव आमंत्रित किया है। एनसीईआरटी के पूर्व प्रमुख जेएस राजपूत ने कहा कि गांव देहात, अर्द्धशहरी क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां शिक्षकों को सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन, पोलियो ड्राप पिलाने के काम, चुनाव मतदाता सूची व मतदान कार्यों और जनगणना में लगाया जाता है। बच्चों में पोशाक, साइकिल व मध्याह्न भोजन के वितरण का दायित्व भी शिक्षकों पर ही होता है। प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी अधिक है कि अब वहां बच्चों को पढ़ाना मध्यम वर्ग की जेब से बाहर होता जा रहा है, गरीबों की तो बात ही छोड़ दें।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2009 में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 81.5 लाख थी जो 2014 में 60.6 लाख थी। सरकारी आंकड़ों में 99 फीसद बच्चों का दाखिला स्कूलों में हो जाता है। लेकिन सर्व शिक्षा अभियान का बजट 27 हजार करोड़ रुपए होने के बाद भी दसवीं तक पढ़ाई करते हुए 47 फीसद बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं।
शिक्षाविद प्रो. एस श्रीनिवास ने कहा कि सरकारी स्कूलों में 11 करोड़ बच्चे जाते हैं जबकि निजी स्कूलों में सात करोड़ बच्चे पढ़ने जाते हैं। सरकार का शिक्षा बजट 46,356 करोड़ रुपए का है जबकि निजी स्कूल फीस के रूप में अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते हैं। माना जाता है कि निजी स्कूलों का बजट सरकारी बजट से काफी अधिक है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, उच्च शिक्षा व शोध के लिए आधारभूत ढांचे व विज्ञान संबंधी प्रयोग के लिए उपकरणों की गंभीर कमी है। आज यह सचाई है कि देश के साढ़े पांच लाख बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं और इसके माध्यम से भारी मात्रा में धन विदेशों में जा रहा है। श्रीनिवास ने कहा कि 40 वर्ष पहले 95 फीसद से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते थे लेकिन तब सरकारी स्कूलों की व्यवस्था ठोस थी लेकिन समय के साथ गिरावट आते आते आज सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे हैं।

पढ़ाई में कमजोर बच्चे, ऊपर से शिक्षक भी कम : वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2014 के अनुसार कक्षा तीन के 23.6 फीसद छात्र कक्षा दो की किताब नहीं पढ़ पा रहे थे। कक्षा पांच के 49.1 फीसद छात्र कक्षा तीन की किताब नहीं पढ़ पा रहे थे। सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2016-17 में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी) स्तर पर तीन लाख से अधिक रिक्तियां थी जिसमें बिहार में 83 हजार, झारखंड में 29555, राजस्थान में 27 हजार, मध्य प्रदेश में 25918 और उत्तर प्रदेश में 20243 पद रिक्त थे।
प्रारंभिक स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात बिहार में 36:1, उत्तर प्रदेश में 39 : 1 है। देशभर में सभी स्कूली स्तरों पर शिक्षकों के कुल नौ लाख पद रिक्त हैं। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में काफी संख्या में पद रिक्त हैं।

कई स्कूलों को चाहिए बिजली, पुस्तकालय :
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन की 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में बिहार में 22.28 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 58.86 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 25.18 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और महज 2.37 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश में 50.11 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 74.66 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 69.27 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और महज 6 .67 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। मध्य प्रदेश में 11.31 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 89.20 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 60.27 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और सिर्फ 2.90 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। राजस्थान में 19.84 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 50.27 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 35.56 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और 5.91 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। उत्तराखंड में 9.30 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 91.94 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 37.17 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और 12.86 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है । छत्तीसगढ़ में 66.51 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 92.68 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 49.50 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और 3.06 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। पश्चिम बंगाल में 73.64 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 75.76 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 36.85 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और 4.69 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है। ओड़ीशा में 15.49 फीसद स्कूलों में बिजली की सुविधा है और 89.12 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय, 18.79 फीसद स्कूलों में खेल के मैदान और 3.71 फीसद स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है।

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