सियाचिन में इस्तेमाल के लिए जरूरी कपड़े और उपकरण देश में ही बनेंगे

भारतीय थल सेना विश्व के सबसे खतरनाक युद्ध क्षेत्रों में से एक सियाचिन में तैनात अपने सैनिकों के लिए विशेष कपड़े, स्लीपिंग किट्स और जरूरी उपकरण के उत्पादन की काफी समय से लंबित योजना को अंतिम रूप देने में लगी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 16,000 से 20,000 फुट की ऊंचाई पर ग्लेशियर की रक्षा में तैनात सैनिकों की रक्षा के लिए एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर क्लॉदिंग सिस्टम और पर्वतारोहण किट के आयात में भारत हर वर्ष 800 करोड़ रुपए खर्च करता है।

अधिकारियों के अनुसार, इन सामग्रियों के देश में उत्पादन के जरिए नौसेना का लक्ष्य हर वर्ष करीब 300 करोड़ रुपए की बचत करना है। वर्तमान में इन चीजों का आयात अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्विट्जरलैंड जैसे देशों से किया जाता है। एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने परियोजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों की जरूरत के अधिकतर उपकरण का निर्माण निजी क्षेत्र के सहयोग से भारत में ही किया जाएगा।’ योजना के मुताबिक, भारत में निर्मित किए जाने वाले कुछ कपड़ों की आपूर्ति भारत चीन सीमा पर स्थित डोकलाम जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात जवानों को भी की जाएगी।

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