सीबीआई के शिकंजे में हीरा व्यवसायी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, PNB को लगा 281 करोड़ रुपये का चूना

हीरा व्यवसायी नीरव मोदी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गए हैं। सीबीआई ने फर्जी दस्तावेज के जरिये पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को 280.70 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। उनकी पत्नी, भाई और बिजनेस पार्टनर को भी आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसी ने PNB के दो पूर्व अधिकारियों को भी आराेपी बनाया है। बैंक की ओर से शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई है। PNB ने नीरव के साथ ही उनके भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चिनूभाई चोकसी के खिलाफ शिकायत दी थी। अधिकारियों ने बताया कि इसके अलवा डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टीलर डायमंड्स कंपनियों के खिलाफ भी आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में PNB के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुल नाथ शेट्टी और मनोज खरट का नाम भी शामिल है। सीबीआई ने सभी अरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं।

एफआईआर के अनुसार, ‘डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टीलर डायमंड्स को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए लोक सेवकों ने अपने पद का दुरुपयोग किया। इससे PNB 280.70 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।’ बैंक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 16 जनवरी, 2018 को आरोपी कंपनियों के पक्ष में फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) जारी किए गए थे। कंपनियों ने बैंक के समक्ष आयात से जुड़े दस्तावेज पेश कर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के लिए बायर्स क्रेडिट (खरीदार के नाम पर कर्ज की मंजूरी) देने का आग्रह किया था। बैंक अधिकारियों ने कंपनियों से एलओयू के लिए 100 फीसद कैश मार्जिन मुहैया कराने को कहा था, ताकि बायर्स क्रेडिट को मंजूरी दी जा सके। कंपनियों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वे पूर्व में भी इस आधार पर यह सुविधा हासिल कर चुकी हैं। आरोप है कि बैंक रिकॉर्ड में इसका ब्यौरा नहीं मिला था।

PNB का आरोप है कि गोकुल शेट्टी और मनोज खरट ने निर्धारित प्रक्रिया को पूरा किए बगैर ही हांगकांग स्थित इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक के लिए आठ एलओयू जारी कर दिए थे। इसका कुल मूल्य 4.42 करोड़ डॉलर (280.70 करोड़ रुपये) था। हैरत की बात है कि आरोपी अधिकारियों ने कथित तौर पर इसकी एंट्री भी नहीं की थी। विभागीय छानबीन के बाद बैंक ने सीबीआई को शिकायत देकर मामले की छानबीन करने को कहा था। आरोप है कि करोड़ों रुपये मूल्य के आठ एलओयू जारी करने के लिए न तो दस्तावेज मुहैया कराए गए थे और न ही संबंधित अधिकारियों से इसकी मंजूरी ली गई थी।

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