सुनंदा पुष्कर मामला: फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा केस, 28 मई को सुनवाई
सुनंदा पुष्कर आत्महत्या मामले को एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत में स्थांतरित कर दिया गया है। सुनंदा के पति व लोकसभा सदस्य शशि थरूर के खिलाफ उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट धर्मेद्र सिंह ने यह मामला अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की अदालत में स्थांतरित कर दिया जोकि सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलों को विशेष रूप से देखते हैं। विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई 28 मई को करेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि विधायकों और सांसदों से जुड़े मामले की सुनवाई विशेष अदालतों में होनी चाहिए।
दिल्ली पुलिस ने 14 मई को थरूर को आत्महत्या के लिए उकसाने व पत्नी के साथ अमानवीय व्यवहार करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 306 और 498ए के तहत आरोपी बनाया है, जिसके अंतर्गत 10 वर्ष की अधिकतम जेल की सजा का प्रावधान है। पुष्कर दक्षिण दिल्ली स्थित लीला होटल में 17 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थी। इससे एक दिन पहले पुष्कर ने अपने पति पर पाकिस्तान की एक पत्रकार के साथ प्रेम संबंध का आरोप लगाया था।
इस आरोपपत्र को दिल्ली पुलिस ने यहां महानगर दंडाधिकारी धर्मेद्र सिंह की अदालत में दाखिल किया। इसमें उल्लेख किया गया है कि नई दिल्ली के होटल के कमरे में 17 जनवरी, 2017 को पाए गए सुनंदा पुष्कर के शव पर ‘हाथापाई के निशान’ थे। इसमें कहा गया, “उनके निजी सहायक नारायण सिंह के बयान के मुताबिक, ये (निशान) सुनंदा पुष्कर थरूर व उनके पति शशि थरूर के बीच हुई हाथापाई के कारण हुए थे। हालांकि, इस तथ्य की आगे जांच की जा रही है।”
आरोपपत्र में कहा गया है कि सुनंदा पुष्कर के भाइयों व बेटे ने ‘किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए हैं।’ सुनंदा पुष्कर (51) को दक्षिण दिल्ली के लीला होटल में उनके कमरे में मृत पाया गया था। इससे कुछ दिनों पहले सुनंदा पुष्कर ने अपने पति शशि थरूर पर एक पाकिस्तानी पत्रकार से प्रेम प्रसंग का आरोप लगाया था। आरोपपत्र के अनुसार, पुलिस ने कहा है कि पुष्कर की हत्या के मामले में कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन वह आत्महत्या करने को मजबूर हुई, क्योंकि वह खाना नहीं खा रही थीं और मौत से पहले अपने कमरे से बाहर नहीं आ रही थीं।
कांग्रेस नेता शशि थरूर (62) ने ट्विटर पर अपना बचाव किया है। उन्होंने कहा, “अतर्कसंगत आरोपपत्र दाखिल किए जाने पर मैंने ध्यान दिया है।” उन्होंने कहा कि वह इसके खिलाफ ‘जोरदार तरीके से लड़ेंगे।’ थरूर ने कहा, “सुनंदा को जानने वाला कोई भी नहीं मानेगा कि वह आत्महत्या कर सकती है।” उन्होंने कहा कि अगर ‘चार साल से ज्यादा समय बाद जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची है’ तो यह ‘दिल्ली पुलिस की पद्धतियों को अच्छा नहीं बताती है।’
उन्होंने कहा, “अक्टूबर, 2017 में कानून अधिकारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में बयान में कहा था कि उन्होंने किसी के खिलाफ कुछ भी नहीं पाया है और अब छह महीने बाद कहते हैं कि मैंने आत्महत्या के लिए उकसाया है। यह अविश्वसनीय है।” सूत्रों के अनुसार, थरूर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 व 498ए के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने व पत्नी के खिलाफ क्रूरता का आरोप है, जिसके तहत उन्हें दस साल तक जेल की सजा हो सकती है।