सुप्रीम कोर्ट का आदेश- गोरक्षकों की हिंसा से निपटने के लिए 13 अक्टूबर तक हर जिले में तैनात करें अफसर, मुआवजा भी दें
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को गौरक्षकों के आतंक से निपटने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्य सरकारें 13 अक्टूबर तक हरेक जिले में एक सीनियर पुलिस अफसर की तैनाती करे जो गौ हत्या के नाम पर होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिए काम करे और उससे जुड़े सभी मामलों की देखरेख करे। कोर्ट ने राज्य सरकारों से गौहत्या के आरोप में मारे गए या मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी व्यवस्था करने को कहा है।
कोर्ट ने तथाकथित गौरक्षक समूहों द्वारा हिंसा करने और अपने हाथ में कानून लेने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए इस महीने की शुरुआत में ही इस पर रोकथाम के उपाय करने को कहा था। साथ ही नोडल अफसरों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि ऐसे समूह प्रशासन के लिए चुनौती न बन सके, इसकी ठोस व्यवस्था की जाय। इसके लिए राज्य सरकारों को अदालत ने एक हफ्ते का वक्त दिया था।
कोर्ट ने राज्य सरकारों से गौरक्षकों से निपटने के प्रभावी रोकथाम के उपायों और नेशनल हाई वे पर सुरक्षा के इंतजामों के बारे में भी बताने को कहा है, जहां गौरक्षकों ने अक्सर पशुओं को ले जा रही गाड़ियां रोककर लोगों के साथ मारपीट की है। बता दें कि पिछले तीन सालों में जब से केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार बनी है, तब से गौरक्षकों द्वारा मारपीट की घटनाओं में इजाफा हुआ है। कई राज्यों में भी भाजपा की सरकार है, इस वजह से गौ रक्षकों को दंड मिलने में कोताही बरती जा रही है।
गौरतलब है कि तथाकथित गौरक्षक समूह पशु व्यापारियों और मीट कारोबारियों, ट्रांसपोर्टर्स और अपने पशुओं के साथ जा रहे किसानों को निशाना बनाता रहा है। अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में गौरक्षकों की अब तक की हिंसा में कई लोग मारे जा चुके हैं। आलोचकों को मानना है कि गौरक्षकों ने मुस्लिमों और दलितों को निशाना बनाने के लिए गाय को मुद्दा बना लिया है।